baleshwar mahadev: बेलेश्वर मंदिर के मामले में भी मानव अधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया

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इंदौर मानव अधिकार आयोग ने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए हादसे को स्वत: संज्ञान में लेकर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से पूरे मामले पर जवाब मांगा है। इसके अलावा दो ओर मामले भी संज्ञान में लिए गए है।
इंदौर शहर के पटेल नगर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुई दुर्घटना पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रकरण क्रमांक 2250/इंदौर/2023 दर्जकर कलेक्टर इंदौर और कमिश्नर, नगर निगम, इंदौर से निम्न बिंदुओं पर एक माह में स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा है, जिसमें घटनास्थल पर बताई गई बावड़ी पर बने निर्माण को अतिक्रमण मानकर कब से उसे हटाये जाने की कार्यवाही नगर निगम द्वारा प्रारंभ की गई थी ? ऐसी कार्यवाही इस घटना के पूर्व तक क्यों नहीं हो सकी ? क्या इस संबंध में किसी न्यायालय अथवा अन्य किसी शासन के आदेश से ऐसी कार्यवाही न करने के संबंध में कोई स्थगन आदेश दिया गया था ? अतिक्रमण और जोखिमपूर्ण परिस्थिति में पायी गई ऐसी बावड़ी पर किये निर्माण को अतिक्रमण मान्य किये जाने के उपरांत भी इतने विलम्ब तक उसे हटाये जाने की कार्यवाही न किये जाने के संबंध में किन-किन अधिकारियों की जिम्मेदारी रही है ?

इस संबंध में उनके विरूद्ध विभागीय स्तर पर नगर निगम, इंदौर द्वारा क्या कार्यवाही की गई है ? घटना के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन, मृतकों और घायलों की संख्या, उनके संबंध में शासन स्तर पर स्वीकृत मुआवजा राशि, इलाज आदि की व्यवस्थाओं के संबंध में स्पष्ट जानकारी पे्रषित करें।आयोग ने उपरोक्त दोनों अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये हैं कि ऐसी घटना की जांच कराकर इस संबंध में भी प्रतिवेदन दें, जिससे इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हो। पन्द्रह दिनों से समस्या, जबलपुर के बिलहरी क्षेत्र में नल के पानी में आ रहे हैं कीड़ेइसके अलावा जबलपुर शहर के बिलहरी क्षेत्र में नगर निगम के नल के पानी में कीड़े निकल रहे हैं। यहां पर मटमैले पानी की सप्लाई हो रही है। यह स्थिति पिछले 15 दिन से बनी हुई है।

बिलहरी क्षेत्र के लोगों ने नगर निगम के नल के पानी का उपयोग करना बंद कर दिया है और क्षेत्र के निवासियों द्वारा इसकी शिकायत नगर निगम को करने के बाद भी उसमें कोई सुधार कार्य नहीं किया जा रहा है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले में कमिश्नर, नगर निगम, जबलपुर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है।

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