जिला अस्पताल : 18 महीने में सिर्फ कॉलम खड़े किए

जुलाई में काम पूरा होना था, शव को खाट पर ले जाने की मजबूरी

शार्दुल राठौर
इंदौर। इंदौर के जिला अस्पताल से गुरुवार को एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें सरकारी लचर व्यवस्था में जनता की लाचारी दिखाई दी, लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है। 18 महीने की समयसीमा में अस्पताल के अधूरे निर्माण में मृतक के परिजनों को शव को खाट पर रखकर जिला अस्पताल तक ले जाना पड़ा। अस्पताल तक जाने वाली कच्ची सड़क पर बारिश का पानी भरने से वहां दलदल बना हुआ है, जिसमें एम्बुलेंस भी डूबी हुई नजर आ रही है।

इंदौर के जिला अस्पताल की शर्मनाक तस्वीर इसलिए सामने आई है, क्योंकि अस्पताल का निर्माण करने वाली कंपनी समय पर अपना काम पूरा नहीं कर पाई है। जिला अस्पताल का काम 27 मार्च 2021 को शुरू हुआ था, कुल 18 करोड़ रुपए की लागत से अस्पताल का काम भोपाल की मेसर्स गुरदीप एंड कंपनी ने लिया और 18 महीने की समय सीमा में अस्पताल का निर्माण करना था।

जुलाई में मार्च 2021 से अब तक 18 महीने की अवधि लगभग समाप्त हो गई है और ठेकेदार अब तक जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग के सिर्फ कॉलम ही खड़े कर पाया है।

हालत यह है कि पिछले एक साल से इसी परिसर में बने कर्मचारी व डॉक्टर्स क्वार्टर के साथ रेनबसेरे में अस्पताल संचालित किया जा रहा है। मार्च में अस्पताल का काम शुरू हुआ था।

सितंबर 2021 में नई डिजाइन आने के बाद काम मे बदलाव किया और इस बीच में ठेकेदार कंपनी को भुगतान नहीं होने के कारण काम बंद हो गया। यह दूसरे सीजन की बारिश है, जब काम बंद है। ऐसे में अब काम कब शुरू होगा और कब पूरा होगा, यह कहने की स्थिति में अभी कोई नहीं है। बड़ी संख्या में जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है, इसकी चिंता किसी भी जनप्रतिनिधि को भी नहीं है।

अस्पताल परिसर बना तालाब

अस्पताल परिसर में पानी भरने से भी परेशानी बनी हुई है, जिसके निकासी की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल निर्माण का काम हाउसिंग बोर्ड के जिम्मे है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदार अफसरों ने अभी तक एक बार भी ठेकेदार कंपनी को कम की धीमी गति या निर्माण नहीं होने को लेकर फटकार नहीं लगाई है। नतीजा यह है की ठेकेदार हाथ पर हाथ धरे बैठा है, जिसकी सजा अस्पताल में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रही है। पिछली बारिश में भी अस्पताल परिसर तालाब में तब्दील हो गया था, इस बार भी यही हालात है।

जिम्मेदारों का कहना

अस्पताल निर्माण की समयावधि तो इस महीने समाप्त हो गई है। अब हम फिर से कंपनी से चर्चा करेंगे। वैसे पहले योजना 100 बिस्तर अस्पताल बनाने की थी, लेकिन फिर 300 बिस्तर अस्पताल चक्कर में देरी हो गई। हम लोग चर्चा कर रहे हैं। अभी बारिश के कारण थोड़ी परेशानी है, फिर से कंपनी को निर्देश दिए जा सकते हैं।

यशवंत दोहरे, उपायुक्त, हाउसिंग बोर्ड

जहां पुराना अस्पताल संचालित हो रहा था, वहां पीछे का और का भाग भी तोड़ दिया है। हमारे पास एकमात्र विकल्प डॉक्टर एवं कर्मचारी क्वार्टर में अस्पताल को शिफ्ट करना था। जब तक नया अस्पताल नहीं बन जाता, तब तक कर्मचारी क्वार्टर में ही अस्पताल संचालित किया जा सकता है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं है, बारिश लगातार आ रही है, इसलिए परेशानी तो है।

संतोष वर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक, जिला अस्पताल

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