गुस्ताखी माफ़: पंगत का पता नहीं और…भाजपा के दरवाजे बंद…चिंता डाकू की नहीं, डाकन के घर देखने की…
पंगत का पता नहीं और…
राजनीति भी गजब चीज है अल्ला की मेहरबानी के आसार दिखते ही राजनीति में पहलवानी शुरु हो जाती है। होना भी चाहिए वर्ना अचानक किसी दिन आकर परवर दिगार कहें कि आपको मैदान में उतरना है और नेताजी कपड़े सिलवाने में ही लगे हो तो नुकसान हो सकता है। अलग अलग क्षेत्रों में इन दिनों अलग अलग राजनेताओं को भले ही सवारी चुनाव लड़ने की नहीं आ रही हो पर कुछ कारोबारियों को राजनीति की मीठी खुजली होना शुरु हो गई है। सबसे ज्यादा क्षेत्र क्रमांक चार में इन दिनों ऐसे मरीजों को देखा जा सकता है इसमे एक है राजा मांधवानी उनके कान में न जाने कौन मंत्र फूंक गया है वे पूरे क्षेत्र में इन दिनों फूंक रहे है और फूंक भी हल्की पतली नहीं है। अब सवारी आ ही गई है तो क्या करें तो ठीक है पिछले दिनों कांग्रेस के एक कार्यकर्ता के घर वे प्रीतम माटा और अपने सिपेहसलार प्रकाश महावर के साथ दो और कलदार प_ों को लेकर गये कार्यकर्ता की तबियत लंबे समय से नासाज चल रही है उसे राजा साहब ने लिफाफा बंदकर २० हजार रुपये की मदद की वे नहीं चाहते कि उनके किए पुण्य का लाभ लोगों को पता लगे। जब प्रीतम माटा से पूछा कि मदद कितनी थी? तो उन्होंने भी कहा कि हमने लिफाफा बंद करके दिया है पर उनके पासके एक ओर कलदार सिक्केने कहा कि वे चाहते है कि २-४ हजार से कुछ नहीं होगा बड़ी मदद दी जानी चाहिए और इसका दौर अब इस क्षेत्र में शुरु हो गया। हालांकि इसी क्षेत्र में कांग्रेस के ही एक ओर कारोबारी अक्षय बम को भी उम्मीदवारी की सवारी आने लगी है। क्षेत्र में जब इन दोनों उम्मीदवारों के बारे में आम लोगों से पूछो तो वे केवल आंकड़ा बताते है चालीस हजार, साठ हजार कोई पचपन हजार कोई बहुत खराब हालत में भी तीस हजार का आंकड़ा बताता है। आप समझ रहे होंगे ये जीत का है नहीं यह इन लोगों की हार का आंकड़ा है। पैसों के मामले में दोनों ही बहुत सक्षम है राजा मांधवानी ने तो माणिकबाग रोड स्थित मिडटाउन प्लाजा में दाल बाफले भी सुतवा दिये हैं। उनके करीबी लोग बता रहे हैं कि राजा साहब बीस करोड़ से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं इसमे दस करोड़ रुपये उस कांग्रेस नेता को दिये जाएंगे जिसके सौजन्य से टिकट मिल रहा है और दस करोड़ रुपये रेवड़ी के लिए रखें गये हैं। दूसरी ओर अक्षय बम भी अब थैला लेकर उतर चुके हैं उनका रुद्राक्ष बांटने का अभियान भी शुरु होने जा रहा है। राजा साहब के करीबी दावा कर रहे हैं 50 हजार सिंधी समाजजन है जो उनके साथ कंधे से कंधा मिलायेंगे और नहीं तो कंधा लगाकर घर छोड़ आएंगे। अब यह समय बतायेगा कि बीस करोड़ी ताकतवर है या छोड़ो… हालांकि इस क्षेत्र से कांग्रेस के सभी नेता अपनी दूरी बनाये हुए सोच रहे है मुक्ति मिली नए लंगुर आ ही गए है।
भाजपा के दरवाजे बंद…

भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत के लिए भाजपा के दरवाजे पूरी तरह बंद हो गये हैं। दूसरी ओर माना जा रहा है कि कांग्रेस में उनके दरवाजे धीरे-धीरे खुल रहे हैं और वे भी धीरे-धीरे कांग्रेस के लिए खुल रहे है। अपनी बेबाक राय और छत्रसाल राजनीति के कारण वे हमेशा सत्ताधीशों से लड़ते रहे, बदनावर में पिछले चुनाव में उनको हरवाने वालों को वे भुले नहीं है। उन्हें यह जख्म अभी भी बना हुआ है। दुख इस बात का भी है कि जिन्होंने उनके क्षेत्र में उनकी और भाजपा की लुटिया डुबवाई थी वे अब शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाकर आनंद ले रहे है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब शेखावत के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हो चुके है और उन्हें कुछ नये फैसले लेना होंगे। हमें भी अब रुककर देखना होगा कि क्या फैसला आ रहा है।
आईपीएस को भी सवारी आई…

इन दिनों इंदौैर में पदस्थ रहे दो आईपीएस चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयारी में जुट गए हैं। दोनों ने ही इंदौर से अपना पुलिसिया जीवन शुरू किया था। मध्यप्रदेश की मुरैना के संबलगढ़ विधानसभा आने वाले समय में एक पुलिस अधिकारी चुनावी मैदान में दिखेंगे। तो दूसरी ओर एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अन्य विधानसभा से मैदान में उतर रहे हैं। इसके पूर्व इंदौर में पुलिस अधीक्षक रहे रुस्तमसिंह जीतने के बाद मंत्री भी बने थे। अब जोर लगा रहे। जौरा से जहां आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा ने अपना त्यागपत्र सरकार को दे रखा है, हालांकि सरकार ने इस्ताफा ना मंजूर कर दिया है। फिर भी वे जौरा से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। दूसरी ओर एक और आईपीएस अधिकारी महेन्द्रसिंह सिकरवार जो पिछले दिनों परिवहन विभाग में भी आईजी रहे जौैरा से चुनाव लड़ने के लिए तैयारी शुरू कर चुके हैं। इन दिनों आदेश भी हाथ जोड़कर दे रहे हैं, हालांकि सिकरवार ने पत्ते नहीं खोले हैं पर वे अगले साल रिटायर्ड होने वाले हैं और नरेन्द्रसिंह तोमर के बेहद करीबी हैं।
चिंता डाकू की नहीं, डाकन के घर देखने की…

