सेटेलाइट से निगरानी, फिर भी आगजनी रोकने में पीछे वन विभाग
प्रदेश में वन विभाग में जारी हुआ फायर अलर्ट
इंदौर। गर्मी की शुरुआत होते ही जंगलों में आगजनी की घटनाएं बढ़ने लगी है। पिछले कुछ दिनों में अकेले इंदौर वनमंडल में चालीस से ज्यादा आगजनी की घटनाएं सामने आई है। सबसे ज्यादा चोरल-महू का जंगल जला है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) सेटेलाइट के जरिए देशभर के जंगलों पर नजर रखे हुए हैं। इस सिस्टम से मध्यप्रदेश का वन विभाग भी जुड़ा हुआ है। आग लगते ही विभाग के अमले को तुरंत मोबाइल पर मैसेज के जरिए लोकेशन मिल रही है। नए सिस्टम के बावजूद वन विभाग आगजनी की घटनाएं रोकने में सफल नहीं हो पा रहा है।
गर्मी में पारा बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने से वन विभाग ने प्रदेशभर में फायर अलर्ट घोषित किया है। आग पर काबू पाने के लिए नया प्रयोग दो साल पहले से शुरू हुआ है। विभाग के मुख्यालय पर सेटेलाइट के जरिए वनक्षेत्रों पर निगरानी रखी जा रही है। सिस्टम को विभाग से मिले मोबाइल नंबर से जोड़ा गया है। यह जानकारी 15 मिनट में ही संबंधित स्टाफ तक पहुंचाई जाती है। काम यहीं खत्म नहीं होता है। आग पर काबू पाने के बाद स्टाफ को फीडबैक देना पड़ता है। इसमें आग कितनी देर में बुझाई, जंगल का कितना नुकसान और कारण बताना होता है। पूरे घटनाक्रम के बारे में ऑनलाइन जानकारी भरना होती है।
आग लगने से ये क्षेत्र रहे प्रभावित
इंदौर रेंज- खंडेल, अंगद, नाहर झाबुआ, पीपल्दा, नयापुरा, चकली, भाडकिया,
चोरल रेंज- कालाकुंड, कुलथाना, बाई, बेका, रसकुंडिया, बागोदा, लोहाड़ी।
महू रेंज- कुशलगढ़, घोड़ाखुर्द, बड़ी जाम,
मानपुर रेंज- वीरम, मानपुर पूर्व, बड़़गोंदा, नाहरखेडा, गोकल्याकुंड,
आगजनी रोकने के लिए सैटेलाइट सिस्टम से वनकर्मी को जोड़ रहे हैं, जिसमें डीएफओ, एसडीओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर, बीट गार्ड और वन समिति के सदस्यों को भी शामिल किया है।
नरेंद्र पंडवा,
डीएफओ, इंदौर वनमंडल
200 हेक्टेयर जंगल को नुकसान
एफएसआई की वेबसाइट के अनुसार, देशभर में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं वन क्षेत्रों से सामने आती है। इंदौर के जंगलों में पिछले दिनों वन विभाग ने आग से 200-250 हेक्टेयर जंगल में नुकसान होना बताया है, हकीकत में जंगल का हिस्सा जलकर खाक हो गया है, जिसमें कुछ ऐसे वनक्षेत्र भी हैं, जहां चार से पांच साल के भीतर पौधे लगाए गए हैं। 15 से 31 मार्च के बीच अकेले इंदौर वनमंडल के इंदौर, महू, मानपुर और चोरल में चालीस से ज्यादा बार जंगल में आग लगी है।