राज्यों पर 80 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका भारत के छह राज्य श्रीलंका से ज्यादा दिवालिया
यूपी, बिहार, झारखंड, गुजरात, राजस्थान गले-गले कर्ज में डूबे, पंजाब पर जीडीपी का 50 प्रतिशत कर्ज यानी दिवालिया
नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक ओर जहां हम श्रीलंका की कंगाली और बर्बादी को हर दिन बढ़ते हुए देख रहे हैं शायद यह देश में चल रही मुफ्त बांटने की परंपरा का सबसे बड़ा उदाहरण हो सकता है। भारत के 7 राज्यों की हालत श्रीलंका से भी बदतर हुई पड़ी है। यह राज्य गरीब से गरीब स्थिति में आ गए हैं। वहीं धनाड्य दिखने वाले राज्य भयावह कर्ज में डूब चुके हैं।
मॉडल ऐसा बन चुका है कि 2014 के बाद राज्यों में पुराने कर्ज तो नहीं चुकाए, नए कर्ज लेने में वे शामिल हो गए। इसमें उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात तक शामिल है। वहीं पश्चिम बंगाल से लेकर राजस्थान तक कर्ज में डूबे पड़े हैं। पंजाब की स्थिति यह है कि उसके जीडीपी का कुल 50 प्रतिशत कर्ज हो गया है। यानी यह राज्य दिवालिया होने की स्थिति में आ गया है। देश में सबसे ज्यादा कर्जदार उत्तर प्रदेश पिछले पांच सालों में हुआ है। यह 6 लाख 11 हजार करोड़ के कर्ज से डूबा पड़ा है। हालत यह हो गई है कि देश में जन्म लेते ही आपकी आय भले ही कुछ न हो पर एक लाख का कर्ज आपके माथे पर चढ़ गया है। सारे राज्यों के कर्ज का आंकड़ा अब 80 लाख करोड़ के पार हो गया है। खींचतान राज्य और केन्द्र के बीच जारी है। जहां केन्द्र सरकार इस साल 11 लाख करोड़ का कर्ज लेने के लिए बाजार में उतरने वाली है वह भी 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर तो वहीं राज्यों के भी बड़े कर्ज लेने की तैयारियां शुरू हो गई है। क्या हम श्रीलंका की दिशा में तो नहीं बढ़ रहे हैं। वहीं भारत पर भी कर्ज बढ़कर अब 46,651.73 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पूरा साल राज्यों को कर्ज लेकर ही आगे काम करना होगा।
अमीर और अमीर
एक ओर जहां देश में राज्य सरकारें दिवालिया होने की हालत में हैं तो वहीं कॉर्पोरेट घरानों का खजाना उतनी तेजी से बढ़ रहा है और इसीलिए घराने राजनीतिक दलों को भरपूर चंदा दे रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार गौतम अडाणी 100 करोड़ डॉलर को पार दुनिया के सबसे अमीर में शुुमार हो गए हैं, तो वहीं अब अंबानी 98.5 अरब डॉलर के साथ पहले से ही खरबपति हैं।
सत्ता के लिए मुफ्त दर मुफ्त की बीमारी
पूरे देशभर की राजनीति अब मुफ्त सामान पर टिक गई है। हर सरकार अपने मतदाता के आंकड़ों में लाभांवित को सबसे पहले जोड़ रही है। देश की 57 प्रतिशत आबादी मुफ्त अनाज का आनंद ले रही है तो वहीं बिजली मुफ्त से लेकर मोबाइल, लेपटाप सहित सब फ्री है।
खा रहे हैं रोजगार के अवसर टैक्स छूट बना रही है खरबों रुपए
कॉर्पोरेट घरानों को दी गई छूट को यदि खत्म कर दिया होता, कोरोना के समय दी गई छूट आम लोगों तक नहीं पहुंची, यदि इस राशि का उपयोग आम लोगों को हो जाता तो हर किसान को 6-6 हजार की सम्मान निधि के साथ पूरे देश को मुफ्त अनाज और हर व्यक्ति के खाते में 500-500 रुपए मिल जाते।