धुंआ उड़ाने के लिए बिकते हैं सर्टिफिकेट, बोलो-खरीदोगे..?

बिना जांच-पड़ताल किए पीयूसी सेंटर से पास हो रहे तमाम वाहन

इंदौर। आप मानें या न मानें, लेकिन हकीकत यह है कि महानगर इंदौर में धुंआ उड़ाने के लिए भी सर्टिफिकेट बिकते हैं, बोलो-खरीदोगे…यदि विश्वास नहीं हो रहा है तो किसी भी पीयूसी सेंटर पर जाकर आप खुद यह देख सकते हैं। यहां बिना किसी जांच-पड़ताल के आपका वाहन पास हो जाएगा। बस जरूरत इस बात की है कि आपको पैसा देना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है, कि महानगर की आबोहवा सुधारने के लिए चाहे स्थानीय प्रशासन लाख जतन कर रहा हो, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही सभी प्रयासों पर पानी फेरते नजर आ रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है, महानगर में संचालित होने वाले पीयूसी सेंटर। यहां बिना जांच-पड़ताल किए ही वाहन स्वामियों को सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं, फिर भले ही उक्त वाहन कितना ही प्रदूषण क्यों ना फैला रहा हो।
८५ सेंटर पर रोजाना जारी होते हैं ५०० से अधिक सर्टिफिकेट
देखा जाए तो आरटीओ के रिकार्ड के अनुसार, महानगर इंदौर में ८५ पीयूसी सेंटर हैं। इन सेंटरों व्दारा विभिन्न वाहनों से निकलने वाले धुंए की जांच कर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। यहां से पचास से सौ रुपए वसूल कर प्रतिदिन लगभग ५०० से अधिक सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। लोग इसे इसलिए बनवाते हैं, ताकि आरटीओ में रजिस्ट्रेशन से लगाकर अन्य काम करवाने मे किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। सर्टिफिकेट देखने के बाद आरटीओ के अधिकारी-कर्मचारी यह मान लेते हैं कि वाहन का धुंआ कंट्रोल में है, जबकि हकीकत कुछ और ही होती है।
क्या कहते हैं परिवहन विभाग के नियम…
देखा जाए तो परिवहन विभाग का नियम यह है कि हर गाड़ी का वैध पीयूसी सर्टिफिकेट होना चाहिए। इसके बिना यदि वाहन चलता मिलता है तो तगड़े जुर्माने का प्रावधान है। बावजूद इसके, आमतौर पर पीयूसी जांच के लिए कभी-कभार ही वाहनों को रोका जाता है। यदि कभी जांच-पड़ताल होती भी है तो केवल लोडिंग वाहनों की ही जांच की जाती है। हालाकि, कार भी अच्छा-खासा धुंआ छोड़ती है। इसी प्रकार, स्कूली बसें भी जबरदस्त प्रदूषण फैलाती हैं, लेकिन सामान्यत: इन्हें ननजरअंदाज कर दिया जाता है।
आखिर क्याहै यह पीयूसी
दरअसल, सड़क पर चलने वाले वाहनों से जो धुंआ निकलता है, वह आबोहवा के लिए नुकसानदायक होता है। इस तरह के प्रदूषण को रोकने और आबोहवा को साफ-सुथरा बनाने के लिए जो मानक पाल्यूशन स्टैंडर्ड तय किए गए हैं, उसके अनुसार वाहन का धुंआ कंट्रोल में है या नहीं इसका पता पाल्यूशन टेस्ट के बाद ही चलता है। वाहनों से निकलनेवाली कार्बनडाई आक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड की लगातार जांच की जाती है। इसी टेस्ट के बाद सामान्यत: सर्टिफिकेट जारी किया जाता है और इसे ही पीयूसी सर्टिफिकेट कहा जाता है।
नए वाहन पर मिलती है सालभर की छूट
परिवहन विभाग के अनुसार, नया वाहन खरीदने पर उसके साथ पीयूसी सर्टिफिकेट दिया जाता है, जो एक वर्ष के लिए मान्य होता है। इसके बाद तय समय में जांच करवाकर पीयूसी सर्टिफिकेट लेना होता है। आमतौर पर पीयूसी की वैधता छ: माह की होती है और उसके बाद फिर जांच कराना जरूरी होता है। वाहन किस फ्यूल टाइप की है, उसके आधार पर ही पीयूसी टेस्ट की कीमत तय होती है। महानगर में आमतौर पर पचास रुपए से सौ रुपए तक टेस्ट के लिए लिये जाते हैं। वहीं, बड़े वाहन बस या ट्रक आदि के लिए यह शुल्क २०० रुपए से २५० रुपए तक हो सकता है।

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