धार रोड़ पर खूब फल-फूल रहा हैं लकड़ी का अवैध कारोबार

शिकायत के बाद भी मौन हैं वन विभाग के अधिकारी, खूब चल रही धांधली

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी में इमारती लकड़ी का अवैध कारोबार इन दिनों खूब फल फूल रहा हैं। यहां पर अवैधानिक रूप से लाई जा रही अवैध इमारती लकडिय़ों के 40 से 50 ट्रकों के आमद की शिकायत पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। फलस्वरूप पूरे मार्केट में दलाल सक्रिय हो चले हैं जिससे यहां अवैध कारोबार खुब फल-फूल रहा है। मार्केट में बहुमूल्य इमारती लकड़ियों के अवैध कारोबार से यहां के कुछ व्यापारी भी परेशान है। कुछ व्यापारियों ने मिलकर यहां के अवैध कारोबार की शिकायत उच्च अधिकारियों से भी की हैं, बावजूद इसके सख्ती होने की बजाय धंाधली जोरों पर चल रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएनटी मार्केट में कुल कारोबार में 40 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी लकड़ी तस्करी और कर चोरी के की जा रही है। वन विभाग और मंडी समिति के साथ वाणिज्यिक विभाग को भी इसकी शिकायतें हो रही हैं मगर सभी विभाग आंखे बंद कर सरकारी खजाने में हो रही सेंधमारी को होने दे रहे हैं। हालात यह है कि जो व्यापारी साफ-सुथरे तरीके से व्यापार कर रहे हैं उनकी शिकायतों पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। एक व्यापारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि यहां 500 से ज्यादा व्यापारी व्यापार करते हैं तथा 150 से ज्यादा आरा मशीनें है। जो व्यापारी इमानदारी से कर देकर व्यापार करता हैं उन्हें इन अवैध कारोबार के कारण घाटा उठाना पड़ता है। क्योंकि अवैध तरीके से लाई गई लकड़ी कम कीमत पर बेची जाती हैं। जबकि वैध तरीके से लाई गई लकडिय़ों की कीमत सभी टैक्स मिलने के बाद ज्यादा हो जाती है। हरे पेड़ों को कटवाकर लकड़ी निलाम करके तस्कर वन विभाग की आंखों में तो धूल झोंक ही रहे हैं, साथ ही आम की लकड़ी का बिल बताकर सागवान सप्लाई कर वाणिज्यिक कर विभाग को भी अंधेरे में रखते हैं। दूसरे शहरों की फर्मों के नाम पर निकाली जाने वाली लकड़ी यहां बेखौफ बिक रही है। इतना ही नहीं एक ही टीपी (ट्रांजेक्शन पास) से चार-चार गाड़ी लकड़ी सप्लाई करने का खेल भी यहां इन दिनों जोरों पर हो रहा है। महाराष्ट्र से इंदौर के लिए एक ट्रक 20 से 25 टन लकडिय़ां लेकर निकलता है। जो सेंधवा बेरियर पर ही लेन-देन करके लकड़ी एमपी बॉडर में दाखिल करवा दी जाती है। जिसे जीएनटी मार्केट में आकर निलाम किया जाता है, जिसकी कोई लिखापड़ी नहीं होती है। इंदौर के व्यापारी इस नीलामी में शामिल होते हैं। यहां से इमारती लकड़ी खरीदकर चोखट, पल्ले तथा जलाऊ लकड़ी की सप्लाय आरा मशीन से कटकर फैक्ट्रीयों में पहुंचाई जाती है। इसके अलावा देवास और पिथमपुर की फैर्क्टीयों में भी बड़ी मात्रा में माल सप्लाय होता है। इसके अलावा बहुंत से व्यापारी तो जलाऊ लड़की की आंड़ में टीपी लेते है और उसपर उच्च गुणवत्ता का माल लादकर इधर से उधर करते है। इसमें भारी-भरकम टैक्स की चोरी होती है। सुबह पांच बजे से माल लेजाने का सिलसिला शुरू होता है तो दिन-भर चलता रहता है। यहां गाडिय़ां आती-जाति रहती है और निलाम होती है।सूत्रों के मुताबिक लकड़ी के सौदागर दिन में इन पेड़ों की पहचान कर लेते हैं तथा रात्रि के समय इन पर कुल्हाड़ी चलाते हैं। यही नहीं, काटे गए पेड़ों को सुबह होने से पहले ही मशीन पर पहुंचाकर सेफ हो जाते हैं। मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोगों की मानें तो बड़ी संख्या में गाडिय़ों आना-जाना बना रहता है। सड़क पर दर्जनों गाडिय़ां हरे पेड़ों से लदी हुई मिलती हैं। अलसुबह सड़कें खाली होती हैं, किसी प्रकार की कोई चैकिंग का भय भी नहीं होता। ऐसे में गाडिय़ां बड़े आराम से आरा मशीन तक पहुंच जाती हैं।

ऐसे होते हैं खेल…
एक बिल-बिल्टी से नाके पर कई गाडिय़ां तक पास करवा देते हैं। रोके जाने पर ले-देकर मामला निपटा दिया जाता है। कर चोरी करके आए ट्रकों की इंट्री जीएनटी में रात के अंधेरे में होती है। जिन्हें सुबह तक निलामी करके गाडिय़ां या तो खाली कर दी जाती हैं या दूसरे स्थान के लिए रवाना हो जाती है। जो टीपी जारी होती हैं उसमें तारीख बदलकर दलाल दो या दो से अधिक गाडिय़ां भरकर लकड़ी आगे तक पहुंचा देते हैं। आम, पीपल, सागवान सहित अन्य इमारती लकडिय़ों का कारोबार यहां बड़े पैमाने पर होता है। आम के बिल पर सागवान की लकड़ी लाई जाती है या शीशम, साल या बीजा की होती है। एक गाड़ी में 70 फीसदी सागवान और 30 फीसदी सस्ती लकड़ी सप्लाई करते हैं ताकि लोगों को लगे कि ट्रक आम या अन्य किसी तरह की लकड़ी से भरा हो।

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