निगम ने सरवटे बस स्टैंड को लावारिस छोड़ा

परिसर में बस ऑपरेटरों का कब्जा, गंदगी और मेंटनेंस देखने वाला भी कोई नहीं

इंदौर। सरवटे बस स्टैंड का उद्घाटन के बाद वहां की व्यवस्थाओं की व्यवस्थाओं की जिमेदारी किसके पास है यह अभी तक तय नहीं हुआ है। बस संचालकों के ड्राइवर, क्ंडेक्टर यहां अव्यवथा फैला रहे है। वहीं बस स्टेंड की सफाई और संचालन की व्यवस्था देखने वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा है।
1969 में बने सरवटे बस स्टैंड की डिजाइन को प्रदेश में सबसे बेहतर होने का अवार्ड मिला था। पचास साल बाद नगर निगम ने जो बस स्टैंड बनाया उसमें ढेरों खामियां सामने आई है। अब उद्घाटन के बाद बस स्टैंड की सुध लेने वाला भी कोई नही है। यहां संचालित होने वाली बस के ऑपरेटर, क्ंडेक्ट, ड्राइवर अपनी मनमानी कर व्यवस्था बिगाड़ रहे है, यात्रियों को डिस्प्ले बोर्ड टिकिट खिड़की या अन्य माध्यम से बसों की जानकारी नहीं मिल रही है। बस के क्ंडेक्टर, ड्राइवर यहां आने वाले यात्रियों को आवाज लगाकर बस में बैठने के लिए बुलाते हुए नजर आ रहे है। वहीं सफाई और मेंटनेंस के लिए निगम ने अब तक कोई जिम्मेदारी तय नहीं की है। निगम या प्रशासन ने जड़ ही यहां की व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया तो करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हुए नए सरवटे बस स्टेंड की दुर्दशा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
उद्घाटन से पहले भी उठ चुके है कई सवाल
सरवटे बस स्टैंड के साथ पांच मंजिला होटल की प्लानिंग 29 करोड़ के अनुमानित खर्च के आधार पर की गई थी। 14.78 करोड़ खर्च कर बनाई इमारत मूल डिजाइन से बिलकुल भिन्न है। सवालों से बचने के लिए अधिकारी दूसरे चरण में होटल पीपीपी मॉडल पर बनाने की बात कह रहे है, लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक पहले तो यह संभव नहीं है। दूसरा अगर ऐसा करना पड़ा तो फिर मौजूदा स्ट्रक्चर में तोड़फोड़ कर करोड़ों का नुकसान करना होगा।

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