60 अरब डॉलर स्वाहा, फिर भी रुपया कमजोर

विदेशी मुद्रा भंडार घटकर रूस से भी कम रह गया

नई दिल्ली (ब्यूरो)। कच्चे तेल की कीमतों और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सबसे ज्यादा असर एशिया के देशों की मुद्रा में भारत के रुपये पर दिखाई दे रहा है। गिरता रुपया भीषण महंगाई की ओर ले जाने को तैयार हो गया है। रिजर्व बैंक ने रुपये की साख को बचाने के लिए 36 अरब 6 करोड़ डॉलर का हवन अभी तक कर दिया है। इसके बाद भी अब रुपये की गिरावट को रोकने से रिजर्व बैंक ने हाथ खींच लिया है। इसके चलते आने वाले समय में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिलेगी। आज भी रुपया 76 रुपए 13 पैसे रहा, तो वहीं रुपया 80 रुपए तक जाने के हालात आने वाले समय में बनेंगे। इसके चलते पेट्रोल भी 130 रुपए के लगभग जा सकता है। सरकार ने दो दिन में 1 रुपए 60 पैसे से ज्यादा की वृद्धि पेट्रोल में की है, यही स्थिति डीजल की है।
रिजर्व बैंक ने रुपये को कमजोर होने से बचाने के लिए पिछले एक माह से अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी। डॉलर की बड़ी बिकवाली के चलते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब 622 अरब डॉलर रह गया है, जो युद्ध लड़ रहे रूस से भी नीचे आ गया है। छह माह पहले तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन, जापान, स्वीटजरलैंड के बाद आता था, जो अब एशिया के कई देशों से पीछे चला गया है। लगातार गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने 36 अरब 6 करोड़ डॉलर बाजार में उतारे हैं। इसके बाद भी रुपया मजबूत नहीं हो पा रहा है। रिजर्व बैंक भी रुपये को बचाने के लिए डॉलर का हवन करते-करते थक गया है। अब रुपए को उसके हाल पर छोड़ा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत की करंसी दोयम दर्जे की जगह ले चुकी है। रुपये की गिरावट का असर आयात पर भी दिखाई दे रहा है।

महंगाई की बड़ी खिड़की खुलेगी
रुपये की लगातार गिरावट के चलते अब जहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर दिन बढ़ना तय है, पहले चरण में ही 10 रुपए तक की कीमतें बढ़ाई जाएगी। कीमतें अब 60 से 90 पैसे के बीच हर दिन बढ़ेगी, इसके अलावा टैक्स भी होगा। इसी के साथ पूरे देश में आने वाले महीनों में महंगाई अपने उच्चतम शिखर पर पहुंचने जा रही है। अभी भी कीमतें हर सामान की 15 से 20 प्रतिशत तक और बढ़ेगी।
सरकार 11 लाख करोड़  रुपए का कर्ज उठाएगी
केन्द्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के लिए जो बजट फरवरी में लेकर आई थी वह कच्चे तेल की कीमतों के कारण औंधे मुंह खड़ा हो गया है। बजट की बड़ी राशि 110 डॉलर प्रति बैरल का कच्चा तेल खरीदने में खर्च हो रही है, जबकि केन्द्र सरकार का बजट 75 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से तैयार किया गया था। सरकार इस साल बांड बाजार से एक बार फिर 11 लाख करोड़ रुपए का कर्ज अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए लेने जा रही है। इसके संकेत बजट में भी दिए गए हैं।

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