साढ़े 3 करोड़ मजदूर मनरेगा की कतार में

इस बार फरवरी में भी बजट आधा होने से नहीं मिल रहे रोजगार

नई दिल्ली (ब्यूरो)। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी को लेकर फरवरी के जारी किए गए आंकड़ों में हालत बेहद भयावह बताई जा रही है। साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण मनरेगा में काम करने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। मनरेगा के बजट में कटौती के बाद ग्रामीण क्षेत्र में अब अधिकतम 30 से 37 दिन का ही काम मिल रहा है, जबकि 100 दिन के रोजगार की ग्यारंटी इसके तहत दे रखी है। कई राज्यों को मनरेगा की ही बड़ी राशि केन्द्र सरकार पर लेना बाकी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े बता रहे हैं कि अप्रैल से जून 2021 की तिमाही में शहरी इलाकों में 15 साल और उससे ऊपर की आबादी में बेरोजगारी की दर 12.6 फीसदी पाई गई थी। जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में लगातार बेरोजगारी कोरोना के बाद भी कम नहीं हो रही है। इसका मतलब शहरी क्षेत्रों से लौटे लोग वापस नहीं जा रहे हैें। दूसरी ओर सबसे निचले रोजगार का चेहरा बेहद खराब है। फरवरी में मनरेगा के तहत रोजगार की संख्या आधी रह गई। जहां पिछले साल 7.19 करोड़ लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया था वहीं इस बार 3.73 करोड़ लोग ही 100 दिन का रोजगार पाने में सफल हो पाए हैं। अभी भी 3.58 करोड़ ग्रामीण मनरेगा में रोजगार के लिए लाइन में हैं। आंध्र प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, केरल में मनरेगा का बजट ही समाप्त हो गया है। दूसरी ओर शहरी महिलाओं को रोजगार मिलने में कुछ राहत जरूर दिखाई दे रही है। अप्रैल से जून 2020 में यह बेरोजगारी 21 प्रतिशत से ज्यादा थी जो जनवरी से मार्च में घटकर 11 प्रतिशत आई और फिर 3 प्रतिशत बढ़ गई। एक ओर जहां पूरे देश में लगभग सभी सामानों की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तो वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। खासकर सबसे निचले स्तर के रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। इसका एक ओर कारण यह है कि निर्माण क्षेत्र में अभी भी रफ्तार नहीं मिल पाई है।

 

You might also like