मंत्री ने दिखाई अपनी ताकत, धरे रह गए दस्तावेज के दावे

गौरव दिवस पर भाजपा में हो गई भारी राजनीति-अनमाने मन से सब सहमत, सुझाव लेकर भी नहीं दी तवज्जो

इंदौर। इंदौर का जन्मदिन अब गौरव दिवस के रूप में 31 मार्च को ही मनेगा। कलेक्टर मनीष सिंह की पुष्टि के बाद इस बात पर विराम लग गया है, लेकिन शहर के जनप्रतिनिधि इस पर असहमत हैं। इससे पहले शहर के जनप्रतिनिधियों ने 12 फरवरी की बैठक में अलग-अलग सुझाव दिए थे, लेकिन मंत्री उषा ठाकुर के सुझाव को तवज्जो देते हुए कलेक्टर ने विधायक रमेश मेंदोला, आकाश विजयवर्गीय को देवी अहिल्याबाई होलकर के जन्मदिन पर ही इंदौर का जन्मदिन मानने के लिए सहमति ले ली है।
हालांकि इस मामले में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और पूर्व विधायक सत्यनारायण सत्तन मुखर हुए थे और अपना विरोध सार्वजनिक भी किया था, लेकिन अब सबकुछ तय होने के बाद अब कोई कुछ नहीं कहना चाहता है। इसलिए यह कहा जा रहा है की अनमाने मन से अब सब सहमत हैं। इसके बाद भी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तथ्यों के साथ यह जानकारी दे दी थी कि गौरव दिवस किस दिन बनना चाहिए।
इस मामले में बैठक में शामिल पूर्व विधायक व प्रबुद्धजन कवि सत्यनारायण सत्तन ने बाद प्रस्ताव सरकार को भेजने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने जन्मदिन का नाम न देते हुए सिर्फ गौरव दिवस के रूप में ही मनाया जाने की बात कही थी। वहीं रायशुमारी पर अंतिम फैसला सरकार के लेने पर विधायकों और प्रबुद्धजनों की राय पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था की जब सब कुछ सरकार द्वारा ही किया जाएगा तो फिर हमें क्यों बुलाया गया है? इस फैसले पर अंतिम मुहर लगने के बाद सत्तन गुरु ने कहा की, मैंने अपनी बात बैठक के बाद ही कह दी थी, सरकार जो फैसला ले वह ठीक है। विधायक आकाश विजयवर्गीय ने लता मंगेशकर की पुण्यतिथि के दिन गौरव दिवस मनाने का सुझाव दिया था, लेकिन वे 80 प्रतिशत राय के आधार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के फैसले पर 31 मई को देवी अहिल्याबाई होलकर के जन्मदिन पर गौरव दिवस के रूप में मनाने के लिए सहमत हैं।
इस मामले में ताई ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर वरिष्ठ इतिहासकारों से चर्चा और देवी अहिल्या से जुड़े संदर्भ के आधार पर 20 जनवरी को इंदौर का जन्मदिन मनाने की मांग की थी, लेकिन उनके सुझाव को भोपाल में भी तवज्जो नहीं मिली। माना जा रहा है की 31 मई को इंदौर गौरव दिवस के रूप में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के फैसले को तवज्जो दी गई है, जिससे अपना सुझाव देने वाले इंदौर के जनप्रतिनिधियों ने अब दूरी बना ली है, वे इस फैसले में विरोध जता कर पार्टी की गाइडलाइन के विरोध में नहीं उतर सकते। वहीं राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है की ताई के उत्सव का रंग फीका करने के लिए मंत्री उषा ठाकुर ने उनके सुझाव को तवज्जो नहीं दी। इस मामले में कई जानकारों का मानना है कि तय तारीख पर गौरव दिवस बनाया जाना न्याय संगत नहीं होगा।

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