50 लाख करोड़ का घाटा और 60 लाख करोड़ का बकाया

बिजली के बिलों में जोरदार करंट की हो रही है देशव्यापी तैयारी

नई दिल्ली (ब्यूरो)। पांच लाख करोड़ से ज्यादा का घाटा उठा चुकी बिजली उत्पादन कंपनियां अब उधार बिजली देने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर 70 लाख करोड़ की सरकारी बकायादारी भी कंपनी को भारी नुकसान पहुंचा रही है। बिजली कंपनी ने सभी राज्यों से बिजली की दरों में 60 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा करने का आग्रह किया है। मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार पर बिजली कंपनियों का सबसे ज्यादा 6 हजार करोड़ रुपए बकाया बताया जा रहा है।
बिजली उत्पादन कंपनी डिस्कोम लगातार कोयले की कीमतों की वृद्धि से तो लड़ ही रही थी, दूसरी ओर राज्य सरकारों पर बकाया बोझ ने उसकी कमर तोड़ दी है। डिस्कोम ने कहा है कि राज्य सरकारें तुरंत बिजली की दरों में वृद्धि करें। पहले से ही सरकारी विभाग ही बिजली कंपनियों का बकाया देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। सबसे ज्यादा राशि 125 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश सरकार पर बकाया है। राज्य सरकारों के विभाग ही बिजली का पैसा नहीं दे रहे हैं। आसाम सरकार को कंपनी ने नोटिस भेजकर कहा है कि यदि उन्होंने पैसा जमा नहीं किया तो पूरे आसाम की बिजली काट दी जाएगी। तमिलनाडु में दो बिजली कंपनियों में उत्पादन बंद हो गया है। कुल 553 अरब की बकायादारी में 52 प्रतिशत बकाया अड़ाणी और टाटा कंपनियों की बताई जा रही है। केन्द्र सरकार ने राज्यों को तुरंत बिजली दरें बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया है। देखा जा रहा है कि मुफ्त बिजली का पैसा भी सरकारें कंपनियों को नहीं दे रही है।
900 करोड़ रुपए का पैकेज मिल चुका
केन्द्र सरकार द्वारा बिजली उत्पादन कंपनियों को वर्ष 2020 में हालत सुधारने के लिए 900 करोड़ रुपए का एक पैकेज जारी किया था, परंतु इसके बाद भी कंपनियों की हालत वापस वहीं पहुंच गई, क्योंकि राज्य सरकारों पर भारी बकाया कंपनियों को नहीं मिल पा रहा है। कई राज्य पहले से ही भारी कर्ज में डूबे हुए हैं।
सरकारी विभाग बन गए हैं मुसीबत
लगभग हर प्रदेश में सरकारी विभागों द्वारा बिजली का भुगतान नहीं हो रहा है, क्योंकि राज्य सरकारों के विभागों का आपसी लेनदेन कागजों पर भी कई जगह रुका हुआ है। ऐसे में विभाग भी आखरी में बिजली कंपनी के पैसे ही रोक रहे हैं, इसके चलते जहां निजी रूप से दी गई बिजली के पैसे तो आ रहे हैं सरकारी विभाग ही बिजली कंपनी को डूबाने में लगे हुए हैं।

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