अवैध कॉलोनियां तो नहीं हुई वैध प्लाटों की कीमत हो गई पाँच गुना

घोषणा के बाद भी नहीं हो रही अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई

इंदौर। राज्य शासन द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने की घोषणा के बाद यह वैध तोट नहीं हुई, लेकिन इन कॉलोनियों के प्लाटों की कीमत पांच गुना तक बढ़ गई है और धड़ल्ले से रजिस्ट्रीयाँ भी हो रही हैं। अवैध कॉलोनाइजर चांदी काट रहे हैं और प्लाट खरीदने वाले धोखाधड़ी के शिकार बनते जा रहे हैं। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की घोषणा के बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। और इसका खामियाजा आने वाले समय में यहां प्लाट खरीदने वाले लोगों को उठाना पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि सन् २०१८ में हुए विधानसभा चुनावों से पहले शहर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया शुरु की गई थी। इसके लिए कॉलोनी सेल ने शहर सहित निगम सीमा में आये २९ गांवों में सर्वे करवाया था। निगम के १९ झोनों में आने वाले ८५ वार्ड में हुई सर्वे के दौरान ९०० से अधिक कालोनियां अवैध पाई गई थी। आईडीए टीएनसीपी, नजूल और सीलिंग की अनापत्ति के बाद ५९६ कॉलोनियों को वैध होने लायक पाया गया था। जबकि १९८ कॉलोनियां ऐसी थी जो अनापत्ति लेने पर वैध हो सकती थी। चुनाव निपटते ही निगम कॉलोनी सेल ने इन १९८ में से १६४ कॉलोनियों को वैध करने की तैयारी शुरु कर दी इन कॉलोनियों के वैध किए जाने की घोषणा प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद इन्दौर आगमन पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी। इसी बीच अवैध से वैध हो रही कॉलोनियों के मामले में हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर हो गई। हाई कोर्ट ने इसे गलत ठहराते हुए अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए बनाये गये कॉलोनाइजर नियम १९९८ के नियम १५ ए की धारा को ही समाप्त कर दिया। इस कारण यह प्रक्रिया अटक गई। इस बीच जिन २६ कॉलोनियों को वैध किया गया था उन्हें भी निगम ने अवैध घोषित कर दिया।

धड़ल्ले से हो रही है रोजाना रजिस्ट्रियाँ, रोक क्योंनहीं लगाती सरकार?
सरकार द्वारा अवैध कॉलोनी को वैध करने की घोषणा के बाद ना केवल इन कॉलोनियों के प्लाटों की कीमत पांच गुना बढ़ गई है। बल्कि इनकी धड़ल्ले से रोजाना रजिस्ट्रियाँ भी हो रही है। यहां सवाल यह उठता है कि जब अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने की प्रक्रिया ही पूर्ण नहीं हुई तो फिर इन कॉलोनियों के प्लाटों की रजिस्ट्री किस आधार पर हो रही है। इससे न केवल कॉलोनीनाइजर लाभ उठा रहे हैं बल्कि यहां प्लाट खरीदने वाले लोग भी एक प्रकार से धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। सरकार को चाहिए की जब तक इस तरह की सभी अवैध कॉलोनियां वैध नहीं हो जाती। उनके प्लाटों की रजिस्ट्रियों पर रोक लगाये। शासन की इस लापरवाही के चलते अवैध कॉलोनी और टाउनशिप काटने वाले कॉलोनाइजरों की तो बल्ले बल्ले हो गई है। दूसरी ओर आने वाले समय में महंगे दामों में यहां के प्लाट खरीदने वाले खुद को ठगा महसूस करेंगे।
गजट नोटिफिकेशन के साथ फिर शुरु हुई चार साल से रुकी प्रक्रिया
पिछले चार वर्षों से अवैध कॉलोनी को वैध करने की रुकी हुई प्रक्रिया राज्य शासन ने गजट नोटिफिकेशन के साथ शुरु कर दी है। इसके लिए शासन ने नया नियम कॉलोनी विकास अधिनियम २०२१ बनाया है। इसके तहत अवैध कॉलोनी को वैध करने के लिए आवेदन आमंत्रित करना भी शुरु कर दिये हैं। निगम अफसरों के मुताबिक पहले चरण में अटकी हुई १६४ कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। इधर अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए कॉलोनी सेल ने ३१ दिसंबर २००० के पहले अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों की जानकारी जुटानी भी शुरु कर दी है।

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