राज टॉवर का निर्माण अभी भी अवैध तरीके से ही होगा, पुराने लेनदारों में ताकतवर को मिल रही जगह
टाप एंड टाऊन, मेहूल गांधी, टिम्बर मार्केट के गुजराती परिवारों से कर रहे हैं समझौते
इंदौर।
२४ साल पहले जिस अवैध निर्माण को ध्वस्त करने को लेकर कई दावे किए गये थे अब उसी अवैध निर्माण की दुहाई देकर और खरीददारों के पैसे वापस करने को लेकर राज टॉवर का नक्शा एबी रोड़ पर गुरुद्वारे के सामने फिर से पास करवाया गया। पीड़ितों को कहा गया कि उन्हें वापस यहां पर पांच मंजिला माल बनाकर उसमे जगह दे दी जाएगी। परंतु अब जैसे जैसे काम की गति की तैयारी शुरु हुई है। कर्ताधर्ताओं की नियत खराब हो गई है। जबकि आज भी जमीन मालिक सुबोध पिता राजमल जैन ही है और कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनी भी वही है। जब शहर में इन दिनों प्रशासन भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर न्याय का यज्ञ कर रहा है तो फिर सौ से अधिक लोगों को कौन से पापों की सजा दी जा रही है। २४ साल से पैसे भी वापर लिए अब देने के नाम पर केवल चेक द्वारा ली गई राशि का भुगतान किया जा रहा है। नकद के पचास करोड़ का कोई हिसाब देने को तैयार नहीं है। एक ही राग अलापा जा रहा है कि इनकम टैक्स की वसूली से बचने के लिए यह पैसे वापस किए जा रहे हैं।
एबी रोड़ स्थित प्रेस काम्पलेक्स के पास स्वास्थ्य प्रयोजन के लिए सुरक्षित की गई भूमि पर खड़े किए गए राज टॉवर को १९९८ में तात्कालिन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने ध्वस्त कर दिया था। इस दौरान यहां कई लोगों से दुकानें और ऑफिस देने के नाम पर लाखों रुपए लिए गए थे। अब २४ साल बाद एक बार फिर बड़े ही चुपचाप तरीके से कर्ताधर्ताओं ने राज टॉवर का नक्शा फिर से पास करवा लिया है। अब यहां पर कई लोगों को जिनके पैसे जमा थे उन्हें चेक से ली गई राशि वापस हो रही है। कुछ लोग जो शहर के ताकतवर लोगों के पास पहुंच गए उन्हें नकद का भुगतान भी किया जा रहा है। राज टॉवर में टाप एंड टाउन के मालिक ने यहां पर आईसक्रीम पार्लर भी खोला था उन्होंने रजिस्ट्री भी करवाई थी। कर्ताधर्ता अब उन्हें एक दुकान देने को तैयार हो गये हैं। दूसरी ओर मेहूल गांधी के २३ लाख रुपए में से पैसे वापस करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। इस मामले में वे पुलिस में भी दो बार शिकायत कर चुके थे। टिम्बर मार्केट के गुजराती अब इस मामले में कलेक्टर को शिकायत करने जा रहे हैं। वहीं जावरा कंपाउंड के हरीश अग्रवाल के भी लाखों रुपए थे पर उन्हें इसके बदले में कुछ जमीन दी गई है। बताया जा रहा है कि इस बार के राज टावर का पचास हजार वर्गफीट का नक्शा पास हुआ है। यह भी उल्लेखनीय है कि यदि कर्ताधर्ता और नक्शा पास करवाने वाले चाहे तो पुराने पीड़ित खरीददारों को चार गुना तक पैसा दे सकते हैं क्योंकि २००० रुपए वर्गफीट की जमीन आज १० गुना बढ़कर २५ हजार रुपए वर्गफीट से ज्यादा कीमत की हो गई है। इसके बाद भी पैसे देने की नियत नहीं हो रही है। जबकि इस प्रोजेक्ट से कम से कम २०० करोड़ से ज्यादा का कामकाज होने जा रहा है। यहां पर अब जो भी पीड़ित पैसे नहीं लेगा उन्हें बाद में दुकानें देने की तैयारी भी की जा रही है। बशर्त ताकतवर जरिया साथ में होना चाहिए। इस जमीन पर नया कारोबार करने वाले कर्ताधर्ताओं को इन दिनों भाजपा के दो बड़े नेताओं का संरक्षण भी है जो प्रशासनिक दिक्कतों को घोलकर पिलाने की महारत रखते हैं। यहां के पीड़ितों की देनदारियों की एक सूचि भी तैयार की गई है। जिसमे कमजोर लोगों को सबसे पहले चेक का भुगतान देकर बाहर किया जा रहा है। राज टॉवर में सुनील गुजराती सहित योगेंद्र बाबा और अन्य लोगों ने दुकानें और ऑफिस बेचे थे।