सुलेमानी चाय-उर्स का लड्डू सब में बंटेगा…उद्घाटन के लिए बना अस्पताल…आज़ाद नगर से निकलेंगे पेलवान
उर्स का लड्डू सब में बंटेगा
पिछले दिनों खजराना में उर्स को लेकर एक दूसरे के घोर प्रतिद्वंदी नेताओं को एक साथ देखा गया, जहां सभी एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले नज़र आए, सभी ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रामखिलावन पटेल से खजराने उर्स के लिए आवेदन निवेदन किया, जिस पर जल्दी फैसला आ सकता है, आवेदन में नासिर शाह उस्मान पटेल इकबाल खान के साथ-साथ चांद सितारे भी नजर आए, उर्स में सभी अपनी अपनी जिम्मेदारी तलाश रहे है, कोई दुकान सँभलना चाहता है, कोई मेला ठेला, झूलों वालो से तो सबकी सेटिंग है, इसका ठेका दिलाने का ठेका किसको मिलता है यह बात देखने लायक होगी, कुल मिलाकर उर्स से कईयों के चूल्हे पर हंडी पकेगी तो कईयों का पेट भी भरेगा।
उद्घाटन के लिए बना अस्पताल
हमारे इंदौर की बात ही कुछ निराली है, यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है, जैसा कि चंदन नगर के ग्रीन पार्क कॉलोनी में अस्पताल सलारे उम्मत है, जो कि इलाज के लिए कम और इफ्तिताह के लिए ज्यादा जाना जाता है, पिछले दिनों एम आई एम के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान से इसका उद्घाटन कराया गया था, उससे कुछ महीने पहले एम आई एम के ही प्रदेश प्रभारी ने भी इसका उद्घाटन किया था, यही नहीं इसके पहले अस्पताल के मालिक 2 साल पहले ही इसका उद्घाटन कर चुके हैं मजे की बात यह है कि एम आई एम अधिकारियों से इसका बार बार उद्घाटन कराकर इसे एम आई एम से जोड़ा जा रहा है, जिससे कि मजहबी फायदे हासिल हो सके, लेकिन अस्पताल और अस्पताल मालिक का एम आई एम से अब तक (तीन उद्घटान) कोई रिश्ता नहीं है।
आज़ाद नगर से निकलेंगे पेलवान
शहर के मुस्लिम इलाके वैसे तो पेहलवानी के लिए मशहूर होते ही हैं जहां, हाथ पांव में दम नहीं और हम किसी से कम नहीं,,,,, वाली कहावत आसानी से देखने को मिल जाती है, लेकिन आज़ाद नगर अब उस पहलवानी के लिए जाना जाएगा जिसमें नाम रोशन होगा ना कि बदनाम, इस बार पूर्व पार्षद फौजिया शेख अलीम ने आवाम की सेहतमंदी की फिक्रकी है, आजाद नगर में संभवत प्रदेश का पहला सरकारी जिम चल रहा है, जिसमें कि अब पहलवानी के लिए नेट और कोच का भी इंतजाम हो चुका है, ऐसे प्रयासों से अब पहलवानी को शायद फिर से वही इज्जत मिल सके जिसे के मोहल्ले के किकड़ पहलवानों ने बेइज्जत कर दिया था।
जिससे सब खफा वो ही हर बार जीते
खजराना में भाजपा हो या कांग्रेस जिससे उसकी ही पार्टी के सब नेता खफा रहते हैं, वो पार्षद बनता है। जब उस्मान पटेल भाजपा में थे, नासिर शाह अपने प_ों के साथ उनकी जड़ें खोदने में लगे रहते थे। अब वे कांग्रेस में गए हैं तो सबसे ज्यादा खुश नासिर बाबू हैं। नासिर बाबू ने तगड़ा इंतज़ाम कर रखा है कि उस्मान पटेल की घर वापसी ना हो। उधर इकबाल खान को सभी कांग्रेस नेता पानी पी पीकर ही नहीं चाय और लस्सी पी पीकर भी कोसते हैं। पूरे पांच साल उनके खिलाफ खबरें अखबारों में छपवाते रहे। साजिशें करते हैं, मगर नतीजा यह होता है कि वो निर्दलीय चुनाव जीत जाते हैं। इस बाऱ भी इक्वेशन बदला नहीं है। भाजपा वाले सब उस्मान के खिलाफ हैं और कांग्रेस वाले इकबाल के।।
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