ध्वस्त राज टॉवर की जमीन तैयार हो गई, नक्शा पास हुआ

पुराने लेनदारों को लालीपॉप चेक का भुगतान, नकद राशि की बातचीत नहीं

 


इंदौर। एबी रोड पर प्रेस कॉम्प्लेक्स के पास स्वास्थ्य प्रयोजन की भूमि पर ताने गए राज टॉवर को तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव द्वारा बम विस्फोट कर मलबे के ढेर में बदल दिया गया था। पूरे मध्यप्रदेश में यह उस वक्त की सबसे बड़ी कार्रवाई तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के कार्यकाल में बताई जा रही थी। अब इसी जमीन पर एक बार फिर विवादास्पद राज टॉवर का नक्शा पास हो गया है। स्वास्थ्य की भूमि पर पास किए गए नक्शे को स्वास्थ्य और व्यावसायिक दोनों उपयोग के लिए शामिल कर यह नक्शा पास हुआ है। इस बीच 1998 में दो सौ दस लोगों ने सात लाख से लेकर दस लाख रुपए देकर यहां पर व्यावसायिक ब्लॉक और दुकानें बुक की थीं। बुकिंग के दौरान चेक से पैसे लेने के अलावा बड़ी राशि नकद में भी दो नंबर में ली गई थी। अब बड़े तरीके से पुराने लेनदारों को चेक द्वारा लिया गया भुगतान तो वापस किया जा रहा है, परंतु नकद के भुगतान को लेकर कर्ताधर्ता एक-दूसरे पर ढोल रहे हैं। चेक की राशि वापस कर इस कॉम्प्लेक्स से अरबों रुपयों का खेल खेलने की तैयारी शुरू हो गई है, जबकि 1996 में लाखों रुपए देने वालों को उतने ही रुपए वापस दिए जा रहे हैं, जितने उन्होंने दिए थे। जो भी लोग यदि पैसा नहीं लेंगे तो वे यहां पर बनने वाले कॉम्प्लेक्स में अपनी हिस्सेदारी ले पाएंगे।
इंदौर में शहर के चार सबसे ज्यादा विवादों में रहने वाले भूखंडों को लेकर नगर निगम में इन दिनों बड़ा कामकाज चल रहा है और इसी के चलते राज टॉवर का नक्शा नए सिरे से पास होकर अब यहां आज की तारीख के भाव से दुकानें बुक करने का काम भी शुरू होने जा रहा है। इधर जब तक पुराने लेनदारों को हटाया नहीं जाएगा, तब तक यहां पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा, वरना पुराने देनदारों को यहां समझौते के तहत दुकानें देना पड़ेंगी। इस बीच जिन लोगों ने 1996 से लेकर 1998 के बीच यहां पर बड़ी राशि देकर बुकिंग की थी, अब उन्हें सादे स्टाम्प पर लिखा-पढ़ी कर चेक राशि वापस दी जा रही है। साथ ही यह भी लिखवाया जा रहा है कि उनका यहां पर बनने वाले कॉम्प्लेक्स से कोई लेना-देना नहीं रहेगा।
इस मामले में शहर के बिल्डर और राज टॉवर के पुराने भागीदार योगेंद्र जैन का कहना है कि उन्हें उच्च न्यायालय में इनकम टैक्स से राहत के लिए यह करना पड़ रहा है, क्योंकि आयकर विभाग ने उन पर यहां लिए गए पैसों के बदले में लगभग तीन करोड़ रुपए की रिकवरी निकाल रखी है और इसे दुरुस्त करने के लिए ही वे पुराने लोगों को उनका पैसा वापस कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों की मृत्यु हो गई है, जिनके पैसों को लेकर भी जालसाजी की जा रही है। दूसरी ओर इस राज टॉवर के पुराने कर्ताधर्ता फिलहाल अलग हो गए हैं। अब यहां पर कुछ नए पार्टनर भी जुड़े हैं। पुराने राज टॉवर में पचास करोड़ से ज्यादा के नकद लेन-देन को हजम करने की तैयारी भी चल रही है। यहां दुकानें बेचने वालों में सुनील गुजराती भी शामिल थे। इनमें से कुछ के खिलाफ क्राइम ब्रांच में मुकदमे भी दर्ज हुए थे।
इस मामले में कुछ ताकतवर लोगों ने चेक की राशि लेने से साफ इंकार कर दिया है। अब उनसे कहा जा रहा है कि प्रकरण निपट जाने के बाद उन्हें यहां पर दुकानें या जो भी संभव हो सकेगा, वह दिया जाएगा। नए राज टॉवर में चार सौ करोड़ से ज्यादा का खेल खेले जाने की तैयारी है। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब पिछली बार यह स्वास्थ्य की भूमि पर निर्मित किया गया था तो इसे क्यों तोड़ा गया, क्योंकि अभी भी भूमि उपयोग स्वास्थ्य के लिए ही है। ऐसे में यहां पर स्वास्थ्य और व्यावासयिक दोनों के लिए नक्शा पास किया गया है, यानी दवाई की दुकान में आइस्क्रीम का कामकाज भी हो सकेगा।
उल्लेखनीय है कि रणजीत हनुमान मंदिर के करीब बॉबी छाबड़ा द्वारा निर्मित स्वास्थ्य की भूमि पर बने व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को प्राधिकरण ने इसलिए तोड़ दिया था कि वहां पर उपयोग स्वास्थ्य के लिए नहीं हो रहा था, यानी इसी आधार पर मनी सेंटर का नक्शा भी पास किए जाने की तैयारी हो सकती है। इसके अलावा चार और बड़ी विवादास्पद भूमि पर भी पिछले दिनों निर्माण कार्यों को रोका गया था। अब इन पर भी अनुमति दी जा रही है, इसे लेकर पिछले दिनों रेसीडेंसी कोठी पर एक ताकतवर मंत्री और अधिकारियों के बीच लंबी बातचीत हो चुकी है।

 

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