भाजपा के होर्डिंग्स से सिंधिया गायब रहे, ज्योति के पोस्टरों से नेता नदारत

भाजपा की अंर्तकलह होने लगी उजागर

इंदौर (अमित चौरसिया)।
प्रदेश में भाजपा की अंर्तकलह उजागर होने लगी है। आलाकमान और बड़े नेताओं के तमाम प्रयासों के बाद भी भाजपाई नेता ज्योर्तिरादित्य सिंधिया को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसका नजारा गत दिवस भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा के नगर आगमन पर भी देखने को मिला जब भाजपा के होर्डिंग्स से सिंधिया गायब रहे और ज्योर्तिरादित्य के पोस्टरों से भाजपा नेता नदारत दिखाई दिये।

उल्लेखनीय है कि भाजपा की शहर कार्यकारणी में सिंधिया समर्थकों को स्थान देने का भाजपा के अंदर खाने मे खुलकर विरोध हो रहा है। इतना ही नहीं, आजीवन सेवा समर्पण निधि में भाजपा कार्यकर्ताओं ने सिंधिया समर्थकों का खुलकर विरोध किया। इसके चलते भाजपा की शहर कार्यकारणी अभी तक अटकी पड़ी है। सूत्रों की माने तो सिंधिया समर्थक विधानसभा 2 से मोहन सेंगर को भाजपा शहर कार्यकारणी में रखे जाने का विधायक रमेश मेंदोला का विरोध अभी भी जारी है। इतना ही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा के पहली बार नगर आगमन पर उनके स्वागत के लिए शहर भाजपा द्वारा जो तैयारियां की जा रही है उसमे भी यह अंर्तविरोध खुलकर नजर आने लगा है। हालात कितने संगीन है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत में लगने वाले होर्डिंग्स और पोस्टरों से जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया गायब हो गये है। वहीं उनके समर्थकों का भी कहीं अता पता नहीं है। यहां यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के स्वागत मंच ओर भाजपा नेताओं के विज्ञापनों ओर होर्डिंग से सिंधिया के फोटो गायब होना सिंधिया समर्थकों को खटक रहा था, जिसके चलते सिंधिया समर्थकों ने अलग से महाराज के होर्डिंग पोस्टर स्वागत मार्ग पर टांग दिये। इनमे से भाजपा नेताओं के फोटो नदारत है। अब देखना यह कि अंदरखाने में पनप रहा विरोध सत्ता और संगठन में कितनी हलचल पैदा करता है।

आगामी निगम और विधानसभा चुनाव में परिलक्षित होंगे परिणाम
सामान्यत: भाजपा को कैडर बेस पार्टी माना जाता था। बावजूद इसके, सत्ता में आने के बाद अब अनुशासन कहां गया खुद पार्टी के नेता भी नहीं समझ पा रहे हैं। ज्योर्तिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने और उनके समर्थकों के बलबूते सरकार बनाने के बाद इस पार्टी में अनुशासन की धज्जियां बिखर चुकी है। जिस तरह से सिंधिया समर्थकों को सत्ता और संगठन में तवज्जौ मिल रही है उससे पुराने खांटी भाजपा नेता और कार्यकर्ता खुद असहज महसूस कर रहे हैं। यदि यही हालात रहे तो आगामी निगम और विधानसभा चुनावों में इसके परिणाम स्पष्ट रुप से परिलक्षित होंगे और यदि भाजपा में बिखराव भी शुरु हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।

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