200 डॉलर तक जाएगा कच्च तेल

अभी 14 साल के सबसे उच्च स्तर पर 129 डॉलर के पार

नई दिल्ली (ब्यूरो)। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें 14 साल के सबसे उच्च स्तर पर पहुंचकर 129.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है जिसके कारण भारत में भी आर्थिक बजट बिगड़ने के साथ ही अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर देखने को मिलेगा। अगर ऐसा ही रहा और रूस के हमले बंद नहीं हुए तो कच्चा तेल 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है।
ब्रेंट क्रूड अभी 11.67 डॉलर यानी करीब 10 फीसदी चढ़कर 129.78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। यह 2008 के बाद क्रूड ऑयल का सबसे ऊंचा स्तर है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट भी 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी उछलकर 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। प्रतिशत के हिसाब से देखें तो कच्चा तेल के इन दोनों वेरिएंट में यह मई 2020 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त है। रविवार को कारोबार शुरू होने के चंद मिनटों में ही क्रूड ऑयल और वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट दोनों जुलाई 2008 के बाद के उच्च स्तर पर पहुंच गए. जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
रूस अभी रोजाना करीब 70 लाख बैरल तेल सप्लाई करता है। रिफाइंड प्रोडक्ट के मामले में टोटल ग्लोबल सप्लाई में रूस का हिस्सा करीब 7 फीसदी है। बैंक ऑफ अमेरिका के एनालिस्ट मानते हैं कि अगर रूस के ज्यादातर सप्लाई को रोक दिया गया तो बाजार में एक झटके में 50 लाख बैरल की कमी आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो क्रूड ऑयल का भाव 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। एनालिस्ट की राय है कि ईरान को रूसी सप्लाई की भरपाई करने में महीनों लग सकते हैं।

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