घाटा 1 लाख करोड़ हुआ, आयात 600 अरब डॉलर के पार पहुंचा

रुपये में भारी गिरावट, शेयर बाजार भी औंधे मुंह, 72 घंटे बाद पेट्रोल-डीजल महंगा होगा

नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। रूस और यूक्रेन युद्ध के 9वें दिन बाद अब युद्ध लम्बा चलने के संकेत मिलने के बाद कई देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर दिखाई देने लगा है। 9 दिन में ही भारत को 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। वहीं कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, उर्वरक का आयात बिल बढ़कर 600 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। एशिया में इस युद्ध का सबसे ज्यादा असर भारत पर ही होगा। रूस और यूक्रेन दोनों से ही भारत के व्यापारिक संबंध हैं। वहीं दूसरी ओर स्वेज नहर सेे सामानों की आवाजाही पर अर्थारिटी ने 10 प्रतिशत टेक्स लगा दिया है। इसका असर आने वाले सामानों पर दिखाई देगा। अगले 15 दिनों में खाद्य तेल सहित कई सामानों के भाव में आग लगते हुए दिखाई देगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भारी विपदा लेकर आया है। इंडियन रेटिक एजेंसी के अनुसार इस युद्ध से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को हो रहा है। लगातार कच्चे तेल की बढ़ रही कीमतों ने भारत की कमर तोड़ना शुरू कर दी है। भारत कुल खर्च का 80 प्रतिशत आयात करता है।
रुपया 76 के पार
युद्ध के चलते कई देशों की करंसी लगातार कमजोर हो रही है। एशिया में भारत की करंसी को सबसे ज्यादा असर हो रहा है। जानकार बता रहे हैं कि रुपया 78 रुपए प्रति डॉलर तक जा सकता है। इसका असर महंगाई पर भी दिखाई देगा।
शेयर बाजार आज भी औंधे मुंह
विदेशी निवेशकों द्वारा तेजी से निकासी के चलते शेयर बाजार में लगातार गिरावट के साथ ही कमजोरी भी दिखाई दे रही है। आज भी 700 अंक की गिरावट से बाजार खुलने के साथ ही कई दिग्गज शेयर के भाव नीचे आ गए। कारोबारी कह रहे हैं कि अब जब तक युद्ध का सही फैसला सामने नहीं आएगा, बाजार में गिरावट जारी रहेगी। अब तक कुल निवेशकों के 20 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो चुके हैं।
2014 में कच्चा तेल 114 डॉलर प्रति बैरल, पेट्रोल 72 रुपए था
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के कार्यकाल के अंतिम समय पर भी कच्चा तेल अपने उच्चतम भाव पर बना रहा था, उस दौरान भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल नहीं के बराबर था। पेट्रोल की कीमतें 72 रुपए प्रति लीटर के करीब बनी हुई थी। मनमोहनसिंह के कार्यकाल में कच्चा तेल 120 डॉलर तक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
का राजस्व घाटा तेजी से बढ़ा रही है। 114 डॉलर प्रति बैरल के भाव मिल रहे कच्चे तेल ने तेल कंपनियों को भारी घाटे में ला दिया है। जेपी मुरगम का दावा है कि इस साल कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल छूने जा रहा है।
कम से कम 20 रुपए कीमतों में वृद्धि से ही तेल कंपनियों को घाटा कम होगा। दूसरी ओर सरकार टेक्स कम करती है या नहीं इस पर भी ध्यान देना होगा। अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक आयात बिल 492 करोड़ डॉलर था जो अब बढ़कर 6.6 अरब डॉलर हो गया है। वहीं दूसरी ओर स्वेज नहर ने भी पेट्रोलियम, गैस, कैमिकल, टैंकर्स, प्राकृतिक गैस ले जाने वाले वाहनों पर 7 से 10 प्रतिशत तक टैक्स बढ़ा दिया है। इसका असर भी कीमतों पर दिखाई देगा।

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