फरवरी माह में बेरोजगारी सर्वोच्च् शिखर पर पहुंची

आने वाले समय में बेरोजगारी देश का सबसे बड़ा मुद्दा होगा

नई दिल्ली (ब्यूरो)। फरवरी माह के अंत तक देश में बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़कर सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया है। वहीं ग्रामीण बेरोजगारी भी और तेजी से बढ़ गई है। ग्रामीण इलाकों में इस समय खेती का कामकाज इस समय बहुत तेजी से चल रहा है, इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी का बढ़ना सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। दूसरी ओर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हो रहा है। कोरोना काल के बाद नौकरियों को रफ्तार नहीं मिलना चिंता का विषय है। पांच राज्यों में जहां चुनाव चल रहे हैं, उनमें उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी 3 फीसदी है, उत्तराखंड में 3.5 प्रतिशत, पंजाब में 9 प्रतिशत और गोवा में 11 प्रतिशत बनी हुई है।
यूक्रेन और रूस संकट के कारण जहां कच्चे तेल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से महंगाई बेलगाम होती जा रही है, वहीं सीएमआईई (सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार फरवरी माह में कोरोना प्रभाव का असर कम होने के बाद रोजगार के अवसर बढ़ने के बजाय और घट गए हैं। बेरोजगारी दर 8.1 फीसदी हो गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 8.3 फीसदी हुई है। पिछले साल फरवरी 2020-21 में यह बेरोजगारी दर 6.80 थी। एक ओर जहां केन्द्र सरकार उत्पादन और निर्यात के रिकॉर्ड बढ़ोतरी का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ बेरोजगारी दर सरकार के दावों की पोल खोल रही है। सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्यों में हरियाणा 23.4 प्रतिशत, त्रिपुरा 17.1 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर 15 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश 13.9 प्रतिशत, बिहार 13.3 प्रतिशत और दिल्ली 11.6 प्रतिशत वाले राज्यों में शामिल है। आर्थिक मामलों के जानकार कह रहे हैं कि खेती के कामकाज का सीजन होने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ना बड़़ी चिंता का विषय है। आने वाले समय में बेरोजगारी देश की सबसे बड़ी समस्या होगी।

मोदी सरकार में सर्वाधिक बेरोजगारी-एनएसएसओ
एनएसएसओ के रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। वर्ष 2017 -18 के दौरान भारत में बीते 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी थी। सरकार गरीब को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात तो कह रही है लेकिन जब नौकरियां ही नहीं है तो आरक्षण देने क्या अवचित है। 137 करोड़ आबादी वाले देश में जहां 65 फीसदी आबादी युवाओं की है जिसमें अधिकतर युवा बेरोजगार हैं। सितंबर से दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रैजुएट लोगों में बेरोजगारी दर 13.2 फीसदी हो गया है।
दिसंबर में 15 लाख पीएफ खाते में शामिल हुए
दूसरी ओर पीएफ खातों में वापस रोजगार पाने वाले कर्मचारियों के खातों का पुन: संचालन शुरू होने के बाद दिसंबर माह का यह आंकड़ा सामने आया है कि 15 लाख से ज्यादा लोगों को स्थायी रोजगार मिला है। हालांकि यह संख्या कोरोना काल में बेरोजगार होने वाले कर्मचारियों की तादाद से बेहद कम है। कोरोना काल में 3 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हुए थे।

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