युवा पीढ़ी में डिजिटल मेंबरशिप से राहुल द्वारा जनाधार बढ़ाने की कोशिश
फिर से खड़ा किया जाएगा प्रदेश स्तर पर नया नेतृत्व
इंदौर (अमित चौरसिया)।
कांग्रेस का भी जवाब नहीं। इसमें कब क्या हो जाये, बस इसके कयास ही लगा सकते है। बहरहाल बिखरती कांग्रेस को एक सूत्र में बांधने के लिए राहुल गांधी इंदिरा की राह पर चल पड़े है और डिजिटल मेंबरशिप से जनाधार बढ़ाने की कोशिश शुरु कर दी है। इसके चलते अब देशभर में प्रदेश स्तर पर नया नेतृत्व खड़ा किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एक ओर उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान ”लड़की हूँ लड़ सकती हूंÓÓ के आगाज से प्रियंका गांधी ने चुनावी राज्य की कमान संभाल रखी है, वही राहुल गांधी के चिंतन शिविर मे संगठन की मजबूती ओर कांग्रेस के जनाधार को बढ़ाये जाने को लेकर निरन्तर मंत्रणा जारी है। सोनिया गांधी के खराब स्वास्थ्य के चलते वो अभी सक्रिय राजनीति से दूर होकर वर्चुअल रूप से ही सक्रिय हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म से पार्टी कार्यकर्ताओं एवं चुनावी राज्यों में जनता से मुखातिब हो रही हैं। गिरते हुए जनाधार और संगठन की मजबूती को लेकर जिस तरह राहुल गांधी गंभीर है वह इससे पहले इतने गंभीर नजर नही आते थे। भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी जी ने जिस तरह एक एक कर कर राहुल गांधी के करीबी लोगों को तोड़ा है उसका दर्द शायद अब उनके चेहरे पर दिखने लगा है। ऐसा ही एक दौर का सामना इंदिरा गांधी ने किया था जब उनके करीबी एक एक कर उनको छोड़ कर गये थे जिसके चलते उन्हें इंद्रा कांग्रेस का गठन करना पड़ा था। जिसके बाद कांग्रेस की सदस्यता अभियान के माध्यम से इंद्रा गांधी ने हर प्रदेश में सशक्त ओर मजबूत नेतृत्व की स्थापना की।
कुशल संगठक और परिपक्व राजनीतिज्ञ के रुप में आगे बढ़ रहे राहुल
भूतकाल में इन समस्याओं को झेल चुका गांधी परिवार अब उसी दौर से इसका हल निकालने में लगा है और शायद इसीलिए राहुल भी अब इंदिरा की राह पर चल दिये है। पिछले 3 वर्षों के कोरोना काल के दौरान जो परिवर्तन और परिपक्वता राहुल गांधी में आई है, वह अब दिखाई देने लगी है। अब वे एक कुशल संगठक के साथ परिपक्व राजनीतिज्ञ के रूप में आगे बढ़ रहे है। गोवा से डिजिटल मेंबरशिप के पायलट प्रोजेक्ट को शुरू कर उन्होंने इस बात का आभास करा दिया है कि कांग्रेस के गिरते जनाधार को बढ़ाया भी जा सकता है और संगठन को नये सिरे से गढ़ा भी जा सकता है। इसको लेकर शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक उसकी गंभीरता दिखाई दे रही है। अब प्रदेशों में अपने क्षत्रपों को खो चुकी कांग्रेस फिर से नये क्षत्रप खड़े करने जा रही है। इसका आगाज गुजरात दौरे पर द्वारकाधीश जी के दर्शन करने के बाद गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चिंतन शिविर में राहुल गांधी कर चुके हैं। अब देखना यह है की डिजिटल मेंबरशिप के माध्यम से मध्य प्रदेश कि राजनीतिक की तस्वीर किस तरह बदलती है और कांग्रेस के जनाधार में कितना इजाफा होता है।