हर माह बचेंगे ईंधन के 12 लाख से अधिक
5 रुपए कम में मिलने से बनी स्थिति
इंदौर। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर गीले कचरे से तैयार हो रही सीएनजी निगम के लिए कुबेर का खजाना साबित होने लगेगी। हर माह गैस से निगम को 12 लाख रुपए की बचत होगी। यह गैस 5 रुपए कम में प्लांट से मिलने लगी है। इस राशि को विकास कार्यों पर खर्च किए जाएंगे। गीले कचरे के निष्पादन में भी पहले से अधिक आसानी रहेगी। अभी गीला कचरा डम्प करने में कई बार परेशानी आती है। यह गैस 400 वाहनों में भरी जाएगी।
डोर टू डोर कचरा संग्रहण में सूखे की अपेक्षा गीला कचरा अत्यधिक मात्रा में निकलता है। केवल दीपावली के आसपास ही सूखे कचरे की मात्रा ज्यादा होने पर वाहनों के फेरे भी बढ़ जाते हैं। गीला कचरे से अब तक जैविक खाद बनाई जा रही थी।
अत्यधिक मात्रा में खाद बनने के बाद उसके खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। इससे गीले कचरे के निष्पादन को लेकर निगम की चिंता बढ़ गई थी। इस चिंता को दिल्ली की कंपनी ने दूर कर दिया। इस कंपनी ने गीले कचरे से सीएनजी बनाना शुरू कर दिया। अब पूरा गीला कचरा आसानी से निष्पादित होने लगा है। गीले कचरे से केवल मांस के टुकड़े व हड्डियों को अलग किया जा रहा है। निगम ने डेढ़ करोड़़ रुपए खर्च कर नेमावर रोड ब्रिज से लेकर ट्रेंचिंग ग्राउंड के मुख्य गेट तक सड़क चौड़ीकरण किया था। यहां सड़कों के दोनों ओर छोटे बगीचे भी तैयार किए गए। इस मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया गया है। जबकि, इसका अब मांस का भी उपयोग निगम के सूत्रों की मानें तो रोजाना 50 से 80 किलो मांस और हड्डियां गीले कचरे में निकलती है। मांस को एक अलग बॉक्स में संग्रहित कर उसे चिड़ियाघर में वन्य प्राणियों के लिए भेज दिया जाता है। इससे वन्य प्राणियों के लिए बाजार से कम कीमत में मांस मंगाना पड़ रहा है। कीमत बचने से भी निगम की कमाईर् हो रही है।
गोबर खरीदने बनेगी टीम
प्लांट शुरू होने के बाद अब कंपनी द्वारा गोबर खरीदने के लिए निगम अलग से टीम गठित की जाएगी। यह टीम पशुपालकों से मिलकर उनसे न्यूनतम दामों में गोबर खरीदेगी। टीम के साथ वाहन भी रहेगा, जो हाथोहाथ गोबर लेकर ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचेगा।
यहां भी भराएगी गैस
तीन साल से भानगढ़ रोड पर बायो सीएनजी प्लांट में गैस उत्पादित हो रही है। अब तक यहां निगम के ही वाहनों में गैस का उपयोग होता था। देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड के बाद अब यहां से भी सिटी बसों में गैस भरी जाएगी। इससे कई बसों के ट्रेंचिंग ग्राउंड तक जाने से निजात मिलेगी।