125 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा भारत

सरकारी सम्पत्तियां बेचने और गिरवी रखने के बाद भी

नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार खर्चों को पूरा करने के लिए हर जगह से पैसा जुटाने में लगी है। इसी के चलते मोदी सरकार ने लगभग देश की सारी सम्पत्तियां बेच दी है, बाकी जो बची है उसे भी बेचने की कोशिश में है। जिस सम्पत्ति को बेच नहीं सकते उसे गिरवी रख दिया है। वहीं सरकार लगातार कर्ज लेती जा रही है।
हाल ही में जारी आंकड़े बताते हैं कि केन्द्र सरकार पर ऊर्जा बढ़कर (वर्तमान एक्सचेंज रेट पर)139 लाख करोड़ रु. हो जाएगा जबकि आर्थिक कार्यालय विभाग के वास्तविक आंकड़े बताते हैं कि केन्द्र सरकार, सितम्बर 2021 तक 125.7 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। यानी सरकार सितम्बर 2021 से 31 मार्च 2022 तक 13.3 लाख करोड़ का कर्ज और लेने वाली है। वहीं 2022-23 का बजट अनुमान बताता है कि 31 मार्च 2023 में यह कर्ज बढ़कर (वर्तमान एक्सचेंज रेट पर) 155.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा यानी 31 मार्च 2023 के बीच सरकार 16.3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज और लेगी। उल्लेखनीय है कि 2014 में मोदीजी की सरकार आने से पहले केन्द्र सरकार पर कुल कर्जा 53.1 लाख करोड़ रुपए था जो कि 31 मार्च 2023 को बढ़कर 155.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा यानी मोदी जी के कार्यकाल में 100 लाख करोड़ रुपए का कर्जा लिया जाना तय है जिसमें से 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज सरकार अब तक ले चुकी है।

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