निगम के पेट्रोल पंप तक लाई जाएगी गैस की लाइन
सभी बसों को शहरी क्षेत्र में मिल सकेगी सुविधा
इंदौर। देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बायो सीएनजी प्लांट का उदघाटन शनिवार 19 फरवरी को होगा। यहां से उत्पादित गैस एआईसीटीएसएल द्वारा संचालित बसों में भरी जाएगी। इससे निगम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की बचत होगी। शहरी सीमा से ट्रेंचिंग ग्राउंड दूर होने से बसों को लंबे समय तक यहां खड़ी रहना पड़ेगा। इस परेशानी से बचाने निगम अगले कुछ दिनों में सीएनजी प्लांट की लाइन अपने पेट्रोल पंप से जोड़ेगा। इससे शहरी सीमा में ही बसों को सस्ती गैस आसानी से मिल सकेगी।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गीले कचरे से पहली बार सीएनजी दिल्ली की कंपनी ने उत्पादित करना शुरू कर दिया है। वर्तमान में शहर में 500 से अधिक बसें दौड़ती है। इन बसों में प्राइवेट पेट्रोल पंपों से सीएनजी भराई जाती है, जो काफी महंगी होती है। शहरी सीमा में होने के कारण बसों का गैस भराने अधिक समय पंप पर बीताना नहीं पड़ता है। शहर की चारों दिशाओं में गैस भराने की व्यवस्था है। ट्रेंचिंग ग्राउंड से गैस भराने पर बसों का काफी समय लग जाएगा। क्योंकि, एक ही स्थान होने से कई बसें कतार में लगी रहेगी। नजदीक से चलने वाली बसों का फायदा होगी, लेकिन गांधीनगर, अरविंदो हास्पिटल, मांगलिया, मेडिकेप्स से चलने वाली बसों को पूरा शहर पार करते हुए ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचना होगा। इसमें काफी समय खत्म होगा। ऐसे में बसें भी यात्रियों को लेकर समय पर गंतव्य नहीं पहुंच पाएगी।
इन सब परेशानी को दूर करने निगम अगले कुछ दिनों में अपने पेट्रोल पंपों तक सीएनजी प्लांट की लाइन बिछाएगा। सोमवार 21 फरवरी से पेट्रोल पंप तक लाइन बिछाने सर्वे कार्य शुरू कर दिया जाएगा। कोशिश रहेगी, इस साल के अंत तक सभी पेट्रोल पंपों को सीएनजी प्लांट से जोड़ दिया जाए। इससे दो फायदे होंगे। पहला, बसों को ट्रेंचिंग ग्राउंड तक जाने से निजात मिलेगी, दूसरा शहरी क्षेत्र में वे आसानी से कभी भी सीएनजी भरा सकेंगे। सूत्रों ने बताया कि पाइप लाइन बिछाने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है। हालांकि, लाइन बिछाने में निगम को लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इस पर लाखों रुपए खर्च होंगे। कई मार्गों पर खुदाई की जाएगी।
इस पर भी विचार
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बसों की कतारें कम करने निगम की योजना रहेगी कि यहां से सस्ती गैस खरीदकर उसे अपने पेट्रोल पंपों तक लाई जाए, ताकि बसें यहां आसानी से पहुंच सके। इसके लिए पंपों पर अतिरिक्त टैंक बनाने से समस्या का निराकरण हो सकेगा। इस पर राशि भी खर्च कम होगी। इस प्रक्रिया पर भी निगम विचार कर सकता है।