फिर विवाद: भारत को 36 राफेल 8.7 अरब डॉलर में वहीं इंडोनेशिया ने 42 खरीदे 8.1 अरब डॉलर में

सीबीआई और ईडी कहती रही इस सौदे में शुसेन गुप्ता को घूस मिली थी

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक बार फिर राफेल के सौदे का भूत फिर बाजार में आ गया है। परंतु इस बार यह सौदा इंडोनेशिया द्वारा किए जाने के बाद सामने आया है। भारत ने फ्रंास की कंपनी से 2016 में 36 राफेल विमानों 8.1 अरब डॉलर में किया था। इस सौदे को लेकर राहुल गांधी ने भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। दूसरी और अब फ्रांसीसी कंपनी द साल्ट ने इंडोनेशिया को भारत से कम कीमत पर यानी 8.1 अरब डॉलर में भारत से ज्यादा यानी 42 विमानों के बेडे का सौदा किया है।
फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि दोनों देशों के बीच समझौते पर दस्तखत हो चुके हैं। प्रथम चरण में जकार्ता को 6 राफेल सौंपे जाएंगे। बाकी 36 विमान अगले दौर में हस्तांतरित कर दिए जाएंगे। इंडोनेशिया ने भी फ्रांस के साथ हुए करार की पुष्टि की है। यह विमान हेमर मिसाइल के साथ रडार को चकमा देने में भी सक्षण है। भारत को 5 राफेल विमान 29 जुलाई 2020 को मिले थे। 36 विमानों का सौदा किया था, 26 अभी तक भारत को मिल चुके हैं। इस सौदे में मीडिल मैन को करीब 7.5 मिलियम यूरो का भुगतान रिश्वत के रूप में किया गया है। भारत के साथ हुए इस सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर फ्रेंच पोर्टल ने पूरी जानकारी जारी की थी। इसके बाद भी भारतीय एजेंसियां चुप रही। सीबीआई और ईडी के पास अक्टूबर 2018 से रिश्वत के सबूत हैं, कि उन्होंने इस सौदे के बिचौलिये को घूस दी थी। पिछले चुनाव में इस घोटाले को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर जम कर निशाना साधते हुए चौकीदार चोर है का नारा लगाया था। हालांकि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की बैंच ने याचिका खारिज कर सरकार को क्लीन चिट दी थी। इस समय रंजन गोगोई राज्यसभा के भाजपा की ओर से सदस्य हैं।

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