स्क्रेप यार्ड के अते-पते नहीं सर्टिफिकेट कहां से मिलेगा?
वीआईपी नंबर के लिए बनाई गई नई परिवहन नीति बनी मजाक का विषय
इंदौर। वाहनों के वीआईपी नंबरों को लेकर परिवहन विभाग ने नई नीति लागू की है, जिसके अंतर्गत वीआईपी नंबर के शौकीन और कद्रदान अपनी पुरानी गाड़ियों के वीआईपी नंबर नई गाड़ियों के लिए ले सकते हैं। इसके लिए जरुरी है अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रेप यार्ड में नष्ट करवाने का सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया जाए। मजेदार बात यह है कि प्रदेश में स्क्रेप यार्ड है ही नहीं। भला सर्टिफिकेट कहा से लाए?
देखा जाए तो म.प्र. परिवहन मंत्रालय भोपाल द्वारा विगत ११ जनवरी को जारी फाइनल नोटिफिकेशन में वीआईपी नंबरों के लिए नई नीति लागू की है। इसमे स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पुरानी गाड़ियों के वीआईपी नंबरों को नई गाड़ियों के लिए ले सकेगा। इसके लिए आवेदक को अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रेप करवाने के साथ ही, स्क्रेप सर्टिफिकेट परिवहन विभाग के पास जमा करवाना होगा। इसके साथ ही, आवेदक को वीआईपी नंबर होते वक्त जमा की गई राशि या १५ हजार रुपए में से जो अधिक हो, वह जमा करानी होगी। इसके बाद ही वाहन स्वामी अपने नाम पर उसी केटेगरी के नए वाहन पर पुराने वाहन का वीआईपी नंबर प्राप्त कर सकता है।
कैसे किया जा सकता है किसी की भावनाओं से खिलवाड़?
यहां सबसे मजेदार बात यह है कि प्रदेश में एक भी स्क्रेप यार्ड नहीं है। हालाकि, शासन ने स्क्रेप यार्ड बनाने के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है। बावजूद इसके, यह कब तक और कहा बनेंगे, यह किसी को भी पता नहीं है। यहां सवाल यह उठता है कि जब स्क्रेप यार्ड ही नहीं है तो नई नीति लागू करने का औचित्य क्या है? क्या, यह वीआईपी नंबर के शौकीन वाहन स्वामियों के साथ मजाक नहीं है? फिर, किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कैसे किया जा सकता है?