प्रचार के आखिरी दिन दिग्गजों ने झौंकी ताकत

प्रियंका गांधी, ममता बेनर्जी, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, जेपी नड्डा की सभाएं

लखनऊ (आर.बी. सिंह)। पश्चिम उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर गुरुवार को मतदान होना है, जिसके लिए आज शाम 6 बजे प्रचार थम जाएगा। प्रचार के आखिरी दिन आज सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं ने पूरी ताकत झौंक दी है। प्रियंका गांधी, ममता बेनर्जी, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, जेपी नड्डा की सभाएं हो रही हैं तो कहीं घर-घर जाकर भी संपर्क किया जा रहा है। उधर शांति पूर्ण मतदान के लिए चुनाव आयोग ने पूरी तैयारियां कर ली है। कल सुबह से मतदान दल रवाना हो सकेंगे। संवेदनशील क्षेत्रों में सैनिक टुकड़ियां तैनात कर दी गई है।
यूपी के रण में पश्चिम के 11 जिलों के 58 अखाड़ों में बृहस्पतिवार को योद्धाओं का इम्तिहान है। सियासी दलों में आखिरी दौर की जुबानी जंग और जोर-आजमाइश जारी है। शुरुआत तो मुद्दों से हुई। सियासी प्रयोगशाला में उनको घिस-घिसकर हथियार बनाया गया। फिर इन्हीं हथियारों से खूब वार-पलटवार हुए। एक लंबी फेहरिस्त है यहां मुद्दों की। पर, अब…? मुद्दे मतदाताओं में तो हैं। कई चुभते सवाल जवाब पाने को बेताब हैं। सियासी दलों की बात करें तो उनका सारा जोर अब ध्रुवीकरण पर है
मुद्दों को लेकर आमजन क्या सोच रहा है, यह जानने के लिए हम गांव खरखौदा पहुंचे। शाम का समय है। मौसम में सर्द हवाएं ठंडक घोल रही हैं। मुख्य मार्ग पर ही चौपाल सजी है। सवाल छिड़ते ही प्रमोद कुमार कहते हैं, मुद्दों की बात तो हर चुनाव में उठती है। असल बात तो ये है कि इनपर अमल नहीं होता। जैसे इस चुनाव में कानून-व्यवस्था एवं सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। लोगों को इसे समझना चाहिए।
उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को लखनऊ आ गई हैं। एयरपोर्ट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका स्वागत किया। वह हजरतगंज के एक होटल में रुकी है। मंगलवार को सपा अध्यक्ष के साथ प्रेस कांफ्रेंस करेंगी और वर्चुअल रैली को भी संबोधित करेंगे। इसके बाद वाराणसी जाएंगी। दो दिवसीय दौरे पर आई ममता बनर्जी का सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी आदि नेताओं ने एयरपोर्ट पर स्वागत किया। यहां से उन्हें लेकर होटल पहुंचे। इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी हालात पर चर्चा की। मंगलवार दोपहर 12 बजे ममता बनर्जी सपा प्रदेश कार्यालय में अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करेंगी। इसके बाद वर्चअल रैली को भी संबोधित करेंगी। इसे लेकर प्रदेश कार्यालय के लॉन में तैयारी की गई है।

12 विधायकों की उम्र में ‘घोटालाÓ
उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण में 58 सीटों पर 10 फरवरी को मतदान होगा। इनमें से 40 सीटों पर मौजूदा विधायक फिर से मैदान में हैं। इन 40 विधायकों में से 12 ऐसे हैं जिनकी उम्र पिछले पांच साल में या तो ज्यादा बढ़ गई या जरूरत से कम रह गई। एक विधायक तो ऐसे हैं जिनकी उम्र पांच साल में आठ साल बढ़ी है। यहां तक की गन्ना मंत्री सुरेश राणा की उम्र में भी पांच साल में सात साल इजाफा हुआ है। थाना भवन से भाजपा उम्मीदवार और गन्ना मंत्री सुरेश राणा की उम्र पिछले पांच साल में सात साल बढ़ी है। 2017 में दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 44 साल बताई थी। इस बार के हलफनामे में उनकी उम्र 51 साल हो गई है। पुरकाजी सुरक्षित सीट से भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा विधायक प्रमोद उटवाल की उम्र भी पांच साल में आठ साल बढ़ी है। 2017 में उन्होंने अपनी उम्र 49 साल बताई थी। इस बार के हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 57 साल बताई है। जेवर से रालोद उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना की उम्र पांच साल में केवल चार साल बढ़ी है। 2017 में भड़ाना भाजपा के टिकट पर मीरापुर सीट से जीते थे। तब उन्होंने अपनी उम्र 60 साल बताई थी। इस बार के हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 64 साल बताई है।
छपरौली से भाजपा उम्मीदवार सहेंद्र सिंह रमाला की उम्र पांच साल में केवल तीन साल बढ़ी है। 2017 में रमाला रालोद के टिकट पर जीते थे। उस वक्त दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 53 साल बताई थी। अबकी बार रमाला ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें उन्होंने अपनी उम्र 56 साल बताई है।

शतरंज की बिसात पर सवर्णों की पैनी नजर
यूपी के चुनावी रण में जहां तमाम जातियों का शोर मच रहा है, वहीं सवर्ण खामोशी से चुनावी परिदृश्य का आकलन कर रहे हैं। समीकरणों की बिसात पर ये बिरादरियां किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का खेल बनाने और बिगाड़ने का माद्दा रखती हैं। अतीत में झांकें तो ऐसे कई उदाहरण है जब सवर्ण जातियों ने किंग मेकर की भूमिका निभाई। इस चुनाव में भी इन जातियों की अहम भूमिका है और सभी दलों की निगाहें इस तरफ हैं।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो सवर्ण मतदाताओं की आबादी 26 फीसदी से ज्यादा है। इनमें सबसे ज्यादा 11 फीसदी से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं। 9 फीसदी से ज्यादा क्षत्रिय मतदाता हैं। वैश्य मतदाता 6 प्रतिशत से अधिक और कायस्थ करीब 2 फीसदी हैं। शहरी सीटों पर वैश्य मतदाताओं की मौजूदगी ज्यादा है। ग्रामीण परिवेश में ब्राह्मण, क्षत्रिय, त्यागी, कायस्थ आदि मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है।
पश्चिमी यूपी के चुनावी बिसात को देखें तो दलों ने जिस तरह से सवर्ण प्रत्याशी उतारे उससे इनकी अहमियत स्पष्ट रूप से सामने आती है। मेरठ शहर सीट पर भाजपा ने इस बार ब्राह्मण पर दांव खेला है, तो कांग्रेस ने भी ब्राह्मण को ही यहां से उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर पहले भी भाजपा की ओर से बड़ा चेहरा डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव लड़ते रहे हैं। सरधना सीट पर इस बार तगड़ा मुकाबला है। यहां भी भाजपा ने मौजूदा विधायक संगीत सोम को ही चुनावी मैदान में उतारा है। उधर, बसपा ने कई सीटों पर इसी तरह का दांव चला है। मेरठ की कैंट और बागपत की बड़ौत सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारा गया है।

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