अल्पसंख्यक वोटर बदलेंगे चुनाव का परिणाम

हर पार्टी का नेता कर रहा अपनी सरकार बनाने का दावा

नई दिल्ली (ब्यूरो)। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान पूरे यौवन पर है। 10 फरवरी को होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए कल शाम प्रचार थमेगा। उत्तर प्रदेश की 56 से ज्यादा सीटों पर अल्पसंख्यक वोटरों की बहुलता होने के कारण परिणाम बदलने की संभावना दिखाई दे रही है। वहीं कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सभी अपनी-अपनी सरकारें बनाने का दावा कर रहे हैं।
बीस जिलों में चुनावी रण सज चुका है और सियासी दल आमने-सामने हैं। पहले चरण का चुनाव दस तथा दूसरे चरण का चुनाव 14 फरवरी को है। दोनों चरणों में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। अहम यह है कि कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों की तादाद काफी है और वे चुनाव का परिणाम बदलने की कुव्वत रखते हैं। यही कारण है कि भाजपा को छोड़ दिया जाए तो बाकी दलों ने मुस्लिमों पर खूब दांव लगाया है।
शुरुआती दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की जिन 113 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वहां मुस्लिम वोटों की तगड़ी पकड़ है। पहले चरण में 11 जिलों की 58 और दूसरे चरण में नौ जिलों की 55 सीटों पर मतदान होना है। इन सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन, बसपा, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी ने जमकर मुस्लिमों को टिकट दिए हैं। इन दलों ने 127 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें पहले चरण की सीटों पर50 तो दूसरे चरण की सीटों पर 77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी रण में हैं।
पहले चरण में सपा-रालोद गठबंधन के 13, बसपा के 17, कांग्रेस के 11 और एआईएमआईएम के 9 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे चरण में सपा-रालोद गठबंधन के 18, बसपा के 23, कांग्रेस के 21 और एआईएमआईएम के 15 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। पिछले चुनाव में पहले चरण वाली 58 में से 53 और दूसरे चरण वाली 55 में से 38 सीटें भाजपा ने जीती थीं।

You might also like