सरकार खुद उड़ा रही नशा मुक्ति अभियान की धज्जियां
नई आबकारी नीति को लेकर उठ रहे सवाल-मचा हुआ है बवाल
(आशीष साकल्ले ‘अटलÓ)
इंदौर। प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते समय भाजपा सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ऐलान किया था कि राज्य में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी की जाएगी। इतना ही नहीं नशामुक्ति अभियान तेज करने की घोषणा भी की थी। बावजूद इसके, सरकार खुद ही नशा मुक्ति अभियान की धज्जियां उड़ा रही है। हद तो यह है कि शिवराज सरकार ने हाल ही में नई आबकारी नीति घोषित कर मदिरा प्रेमियों का मन मोह लिया है। इसको लेकर न केवल सवाल उठ रहे हैं, बल्कि बवाल भी मच गया है।
शिवराज सरकार द्वारा मद्यप्रदेश के लिए जिस नई आबकारी नीति का निर्धारण किया गया है, उसमें अंगूर के अलावा महुए और जामुन से भी शराब बनाई जाएगी। सुपर मार्केट में वाइन शाप खोलने, हेरिटेज मदिरा नीति के साथ क्यू आर कोड के साथ ही मदिरा महोत्सव जैसे प्रावधान किए गए है। बात यहीं खत्म हो जाती तो भी ठीक था, लेकिन मदिरा टैक्स फ्री की जा रही है, जिससे शराब सस्ती हो जाएगी और तो और, जिस शख्स की आय एक करोड़ रुपए सालाना है, वह अपने घर में ही बार भी खोल सकेगा। कहने का मतलब, खूब पियों, छककर पियो – पिलाओं… हो गई ना बल्ले बल्ले…?
अब एक ही दुकान पर मिल जाएगी देशी-विदेशी शराब
नई आबकारी नीति के अनुसार, अब एक ही दुकान से मदिरा प्रेमी देशी-विदेशी शराब खरीद सकेंगे। प्रदेश की सभी ११ डिस्टलरी से शराब सप्लाय के लिए टैंडर भी नहीं होंगे। इसे गोदामों में रखा जाएगा, जहां से शराब ठेकेदार उसकी क्वालिटी व कीमत का अध्ययन कर अपनी दुकानों के लिए खरीदकर ग्राहकों को बेच सकेंगे। अलीराजपुर और डिंडोरी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महुए से बनने वाली शराब लाई जाएगी। हेरिटेज नीति के तहत ग्रामीण इलाकों की महुआ शराब को बाहर बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए संभवत: स्वयं सहायता समूह का निर्माण भी किया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के ऐलान का क्या निकलेगा परिणाम…?
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती शराबबंदी की पक्षधर रही है। समय-समय पर शराब बिक्री की मुखाफलत (विरोध) भी करती रही है। कुछ समय पहले उन्होंने प्रदेश में शराब बंदी के लिए आंदोलन छेड़ने का ऐलान भी किया था, लेकिन बाद में संभवत: पार्टी हाईकमान के दबाव में चुप्पी साध ली थी। बावजूद इसके एक बार फिर वे मुखर होते दिख रही है। अब उन्होंने १४ फरवरी से पुन: नशा मुक्ति अभियान छेड़ने का ऐलान किया है। उनके ऐलान का क्या परिणाम निकलता है। इधर, शिवराज सरकार के ढोल की पोल तो वैसे ही खुलने लगी है, क्योंकि सरकार के नशामुक्ति अभियान का बजट साल दर साल घटते ही जा रहा है। सन् २०१८ में शिवराज सरकार ने नशा मुक्ति अभियान के लिए जहां १० करोड़ के बजट का प्रावधान किया था, वह अब घटकर सिर्फ ७३ लाख रुपए रह गया है। दूसरी ओर, नई आबकारी नीति में शराब सस्ती किए जाने के बाद इसकी खपत में वृद्धि होना लाजिमी है। वो बोले तो मध्यप्रदेश को मद्य प्रदेश बनाने से अब भगवान ही बचा सकता है। खुदा खैर करें…
एक हजार लाइसेंस फीस जमा कर दो बार मनाइये वाइन महोत्सव
नई आबकारी नीति का जलवा देखिए, अब महज एक हजार रुपए लाइसेंस फीस जमा कर साल में दो बार मदिरा महोत्सव का आयोजन भी किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त जिन दुकानों पर शाप -बार की अनुमति नहीं है, वहां ठेकेदार द्वारा दो प्रतिशत राशि जमा करने पर उन्हें शाप-बार का लाइसेंस दिया जाएगा। इसी प्रकार, अब देशी शराब कांच की बाटल के साथ ही टेट्रा पैक (गत्ते की पैकिंग) में भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा, मदिरा की फूटकर विक्रय दरों में भी २० प्रतिशत की कमी लाकर व्यवहारिक स्तर पर लाया जाएगा। मतलब, राशन-पानी भले ही महंगे होते जाएं, दूध-दही के भाव आसमान छुएं, शराब सस्ती मिलेगी।