12 लाख करोड़ के नए कर्ज का इंतजाम करना होगा
केन्द्र सरकार के बजट पेश होते ही रिजर्व बैंक के हाथ-पांव फूले
नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। कल केन्द्र सरकार द्वारा रखा गया 39 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट कई मायनों में याद रखा जाएगा। पहली बार पूंजीगत खर्च 35 प्रतिशत बढ़ाया गया है। इससे भरपूर निर्माण शुरू हो सकेगा। दूसरी ओर इसी बजट में 22 से 23 लाख रुपए टेक्स के रूप में आने हैं और बाकी 12 लाख करोड़ रुपए कर्ज के रूप में बाजार से उठाए जाएंगे। बांड बाजार में भी अब सरकार को 7 प्रतिशत ब्याज दर से ज्यादा पर ही ऋण लेना होगा, जो अब तक का सबसे महंगी ब्याज दर का ऋण होगा। वहीं इस साल से सरकार को हर साल 9 लाख करोड़ रुपए ब्याज के रूप में देने होंगे, जो आय का 45 प्रतिशत तक हो जाएगा। इस घोषणा के बाद आरबीआई के हाथ-पांव फूल गए हैं। दूसरी ओर पिछले बजट में विनिवेश कार्यक्रम को जमकर प्रचारित किया गया था, जो इस साल फ्लाप शो के रूप में रहा। अत: इस बार विनिवेश कार्यक्रम से सरकार ने कुछ कदम पीछे हटा लिए हैं।
केन्द्र सरकार के बजट में कई आंकड़े बता रहे हैं कि सरकार की माली हालत बहुत अच्छी नहीं है। पिछली बार भी कोरोना काल में सरकार ने 15 लाख करोड़ रुपए के लगभग का कर्ज उठाया था, जबकि कल आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने आर्थिक हालत बहुत अच्छी बताई थी। इसके बाद भी सरकार को अपनी योजनाओं के लिए कई जगह से कर्ज उठाना पड़ रहा है। सरकार की कर्ज की मांग से रिजर्व बैंक के हाथ-पांव भी फूल रहे हैं, क्योंकि सरकार को 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज उठाकर आरबीआई को देना है। इसके लिए रिजर्व बैंक बांड बाजार पर ही दाव लगाएगी, जो अब सरकार को सस्ते कर्ज देने के मूड में नहीं है। सरकार ने विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी कोविड़ काल के दौरान तेजी से कर्ज उठाए थे। इसके चलते सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा कर्ज की रकम देने में जा रहा है। इस साल 9 लाख करोड़ रुपए ब्याज के देने हैं।
कमाई खपत और बचत पर कुछ नहीं
सरकार का पूरा कामकाज बैंकों में जमा छोटी राशि के अलावा बाजार में खपत और कमाई पर ही आश्रित है। इसके बाद भी सरकार के इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। खास कर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए कहीं पर भी छूट की स्थिति नहीं है, जबकि सरकार को कामकाज बढ़ाने के लिए लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाने का काम करना था। 15 हजार से लेकर 35 हजार रुपए तक कमाने वालों को इस बजट से कोई लाभ नहीं मिला है।
रिजर्व बैंक की कठिन परीक्षा
सरकार के लगातार कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक की इस सत्र में कठिन परीक्षा शुरू हो गई है। 12 लाख करोड़ रुपए का कर्ज सरकार को दिलाने के लिए उसे बाजार में और पैसा छोड़ना होगा वहीं महंगाई का भी संतुलन बनाए रखना होगा। इधर ब्याज की दरें बढ़ना भी तय है। वहीं सरकार ने अपना राजस्व घाटा पूरी तरह खुला छोड़ दिया है।
एलआईसी का आईपीओ अभी नहीं आएगा
सरकार द्वारा पिछले साल जोरशोर से शुरू किए गए विनिवेश कार्यक्रम ने प्रारंभिक चार महीनों में ही दम तोड़ दिया था। 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपए विनिवेश से आने थे, जिसमें से केवल 20 हजार करोड़ रुपए के लगभग ही आए। इस बार सरकार ने नए बजट में 65 हजार करोड़ रुपए विनिवेश से एकत्र करने का प्रयास शुरू किया है, जबकि एलआईसी का आईपीओ एक लाख करोड़ से ज्यादा का है। यानी इस सत्र में इसके आने की कोई संभावना नहीं है। यदि लाया भी गया तो 10 प्रतिशत की बजाय 5 प्रतिशत का आईपीओ होगा।