45 साल बाद मास्टर प्लान की सड़क का जीर्णोद्धार होगा
शार्दुल राठौर
इंदौर। शहर के पहले मास्टर प्लान में प्रस्तावित आरई 2 तैयार करने की कवायद 45 साल बाद अब जाकर शुरू हुई है। सन 1975 में बने इंदौर के पहले मास्टर प्लान में आरई-2 को प्रस्तावित किया गया था। निगम और आईडीए के अफसर इतने वर्षो में आरई-2 तैयार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। मास्टर प्लान में एमआर-10 स्कीम-134 से लेकर राऊ रेलवे क्रॉसिंग तक 22 किलोमीटर लंबा आरई-2 प्रस्तावित है, जिसके निर्माण की लागत दो साल पहले 34 करोड़ आकी गई थी। हाल ही में निगम व आईडीए ने मिलकर आरई 2 को मिलकर तैयार करने की जिम्मेदारी तय की है, लेकिन यह निर्माण भी उस स्थान पर शुरू किया गया है, जहां ज्यादातर जमीन उपलब्ध है और ज्यादा बाधाएं नहीं हैं।
75 कॉलोनियों के लिए प्रमुख मार्ग साबित होने वाली इस सड़क के तैयार होने की उम्मीद अब जागी तो है, लेकिन निर्माण को लेकर प्रस्तावित आरई 2 की राह में रोड़े भी है। आईएसबीटी और नायता मुंडला स्थित आरटीओ बिल्डिंग के सामने आरई 2 की मॉडल सड़क का निर्माण भी किया गया है। प्रस्तावित आरई 2 सड़क आईडीए की टीपीएस-10 स्कीम के तहत आती है। जहां 70 प्रतिशत जमीन शासकीय है। कुल 7 हेक्टेयर रोड में सिर्फ 30 प्रतिशत हिस्सा प्राइवेट है, लेकिन ये ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि 1975 में आरई 2 मास्टर प्लान में प्रस्तावित होने के बाद से इस जमीन पर जो अतिक्रमण हुआ है, उसको हटाने की जहमत अभी तक प्राधिकरण नहीं जुटा पाया है। हालांकि आरई 2 को लेकर यह फैसला लिया गया था, की निजी जमीन के बदले आईडीए नए लैंड पूलिंग एक्ट के तहत लोगों को प्लॉट उपलब्ध कराएगा।
अतिक्रमण हटाने के बजाए चौड़ाई घटाई
मास्टर प्लान में आरई-2 की चौड़ाई 45 मीटर प्रस्तावित है, लेकिन अफसर अतिक्रमण हटाने के बजाय 24 मीटर (80 फीट) चौड़ाई के हिसाब से बनाने की तैयारी कर चुके हैं। हालांकि बाद में चौड़ाई बढ़ाने की बात कही जा रही है। आईएसबीटी और आरटीओ पहुंचने के लिए 3.7 किमी का हिस्सा अहम है। इस पर ही सबसे ज्यादा अतिक्रमण हंै। इसे हटाने के लिए केंद्र सरकार से लेकर हाईकोर्ट तक आदेश दे चुके हैं। यहां नया आरटीओ भवन बनने के बाद अब आईएसबीटी भी लगभग बन चुका है। फिर कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि निगम और प्राधिकरण इस मामले में संयुक्त कारवाई का मन बना चुका है, इसके लिए प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने दौरा कर सड़क निर्माण में आ रही बाधाओं का आकलन किया।
अक्टूबर में सर्वे कर जुटाई जानकारी
आरई-2 के निर्माण के लिए अभी टोपोग्राफी सर्वे कर संपत्तियों की लिस्टिंग की जा रही है। निगम ने आरई-2 का सर्वे अक्टूबर से शुरू किया था। इसमें रोड का अलाइनमेंट तय करने के साथ बाधक संपत्तियों, अतिक्रमण की जानकारी, रोड के दोनों तरफ मौजूद संपत्तियों की जानकारी, आकार-प्रकार आदि बातें जुटाई गई है।
विधायक ने रखी मांग
सोमवार को प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने विधायक महेंद्र हार्डिया को साथ में लेकर आरई-2 के लिए दौरा किया, जिसमें विधायक ने रहवासियों से सड़क निर्माण के बदले निगम से बैटमेंट चार्ज नहीं वसूलने की मांग रखी। जबकि प्राधिकरण द्वारा अपने हिस्से की सड़क निर्माण में रहवासियों पर यह शुल्क नहीं वसूला जा रहा है। विधायक हार्डिया ने निगमायुक्त से यह भी कहा की ज्यादा आवश्यक हो तो बैटमेंट चार्ज सड़क निर्माण के बाद वसूला जाए।
– सड़क में बाधक स्कीम 140 के पास बसी अवैध बस्ती के रहवासियों को नीलगिरि परिसर, दूधिया में विस्थापित किया जाना है। निगम ने बस्ती वालों को जुलाई 2021 में हटने के नोटिस दिए थे। उन्हें 3 महीने में नीलगिरी परिसर में शिफ्ट करने का लक्ष्य रखा गया था। नगर निगम पिछले 5 साल से अपने सालाना बजट में 100 करोड़ का प्रावधान आरई-2 को बनाने के लिए करता आया है।
– आरई-2 की जद में आने वाली सरकारी जमीन पर बसी बस्ती हटाने की घोषणा पूर्व कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने की थी, पर कुछ नहीं हुआ।
– अवैध बस्ती के विस्थापन को लेकर सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों को नगर निगम ने हमेशा झूठी जानकारी देकर बंद कर दिया।
– 2019 में आरई-2 सड़क के इस हिस्से का सर्वे, सीमांकन, टेंडर और वर्क ऑर्डर भी हो चुका था, जिस पर हाल ही में काम शुरू किया गया है।
– कोर्ट में याचिका के दौरान वर्ष 2020 में इंदौर हाईकोर्ट ने प्रशासन, आईडीए और निगम को सड़क की प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी थी, तब जाकर अफसर हरकत में आए।
– प्रधानमंत्री आवास योजना ने जुलाई 2021 में सूचना जारी कर अवैध बस्ती के दावे, आपत्ति का निराकरण भी कर दिया, फिर भी विस्थापन का काम अधूरा ही है।