कर्ज की मार, उम्मीदों का भार

कर्ज की मार, उम्मीदों का भार


नई दिल्ली (ब्यूरो)। देश ने निर्यात के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हांसिल की है, वहीं इस साल भारत की विकास दर भी अपनी रफ्तार पकड़ लेंगी। कोरोना महामारी के बाद अब जीएसटी में भी सुधार शुरू हो गया है। देश के किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए सरकार कृत संकल्प है। दूसरी ओर लिए गए कर्ज की मार के बीच सरकार को विकास को रफ्तार भी देना है।
वित्तमंत्री आज बजट पेश होने के पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने जा रहे हैं। भारत का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचकर 393 अरब डॉलर हो गया है। पिछली तिमाही में अनुमान है कि भारत की ग्लोबल ट्रेड में हिस्सेदारी 2 फ़ीसदी के पार निकल गई है। साल 2021 में भारत ने 16 अरब डॉलर का निर्यात किया है जो साल 2018 की तुलना में यह दोगुना हो गया है। दूसरी ओर देश में छोटी बचत करने वाले लोगों से आने वाले 12 हजार करोड़ रूपए बैंकों में जमा हो रहे है। परन्तु सरकार इनके लिए कोई योजना नहीं ला रही है। इधर सोना खरीदने वाले 20 प्रतिशत लोगों को ही 4 हजार करोड़ रूपए की टैक्स में छूट दे रही हैं तो वहीं 100 प्रतिशत लोग पेट्रोल-डीजल और दवाईयों पर सोने-चांदी से ज्यादा टैक्स दे रहे है। 138 करोड़ की आबादी में आयकर दाताओं की संख्या मात्र देड़ करोड़ है। इनमें से 10 लाख ही आयकर दाता 46 से 50 लाख रूपए की आय वाले है। सरकार का पूरा बजट इन्हीं पर केन्द्रीय होता जा रहा हैं जबकि देश की 138 करोड़ आबादी हर सामान पर टैक्स दे रही है जो 6 लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाता है।

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