जंगली जानवरों के शिकार की मिलेगी अनुमति, पर पेंचों भरी

जल्द आने वाला है जंगली जानवरों के अमंगल का फरमान...

धर्मेन्द्र सिंह चौहान
इंदौर। नीलगाय ओर जंगली सूअरों को मारने के लिए राज्य सरकार पुराने कानून में जल्द ही संसोधन कर नया कानून पारित करने जा रही है। इससे अब जंगली जानवरों के अमंगल की संभावना बढ़ जाएंगी। सरकार अब किसानों की आड़ लेकर शिकार के शौकीनो को जंगली जानवरों की हत्या का लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है, बस मोहर लगना बाकी है। दैनिक दोपहर की टीम ने शहर की चारो दिशाओं के नीलगाय ओर जंगली सुअरों से पीड़ित 50 से ज्यादा किसानों से इस विषय पर बात की जिसमे कुछ किसानों ने इसे ठीक बताया तो कुछ ने गलत संसोधन की बात कही।
शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों में सुमार नीलगाय और जंगली सुअरों को मारने का फरमान जल्द ही राज्य सरकार देने जा रही है। यह दोनों जानवर ऐसे है जो फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देते है। इन्हें खेत से भगाना मतलब फसल को पूरी तरह बर्बाद करना होता है। किसानों को इनसे मुक्ति दिलाने के लिए जल्द ही राज्य सरकार अब 20 साल पुराने कानून को बदल कर नया कानून पास करने वाली है। इसका कुछ किसान विरोध कर रहे है तो कुछ समर्थन। जिले में उन्नत कृषक का पुरुस्कार जीतने वाले लाखन सिंह गेहलोत ने बताया कि जहां नए कानून से जंगली जानवरों पर अत्याचार बढेगा वहीं भ्रष्टाचार भी बढ़ जायेगा। जबकि सरकार को ऐसा करना चाहिए कि इन्हें स्पॉट पर बेहोश कर उनकी नसबंदी कर इन्हें जिंदा छोड़ देना चाहिए। जिससे इनकी आबादी दिनों दिन कम होती चली जाएंगी। वहीं सरकार और शिकारी, जानवर की हत्या से भी बच जाएंगे और भ्रष्टाचार भी नही होगा।
शिकार की आड़ में ऐसे होगा भ्रष्टाचार…
जिले के किसानों का कहना है कि नए कानून से भ्रष्टाचार इसलिए होगा कि जिस किसान ने शिकारी को बुला कर अपने खेत मे जंगली जानवर का शिकार कर दिया, इस दौरान वह भाग कर खेत से दूर चला गया तो वन विभाग किसान पर जंगल मे शिकार करने का आरोप लगा सकता है। इससे बचने के लिए मोटी रकम की मांग की जा सकती है। वहीं बगैर वन विभाग को बता कर चोरी छुपे अन्य लोग भी किसानों की आड़ लेकर इन जानवरों का शिकार आसानी से कर सकते है।
दोपहर टीम को कृषक मित्र एवं दीदी संघ जिलाध्यक्ष लाखनसिंह सीताराम गेहलोत के साथ देपालपुर तहसील के ग्राम शाहपुरा के आशाराम पटेल, जीवनसिंह गेहलोत,सुमठा से महेंद्रसिंह ठाकुर, रेगंवास से मुकेश ठाकुर, खेडी से गोकुलसिंह पंवार ,सुनावदा से, ओमप्रकाश पटेल ने नए कानून का स्वागत किया तो वही सुनाला के किसान प्रकाश सेठ ,राजैश ,जाधव , छडोदा से हंसराज नागर ,बान्याखेडी से राजैन्द्रसिह दरबार, रूदराख्या से अर्जुनसिंह सोलंकी ,कमलसिंह सोलंकी, सावेर तहसील, बरलाई जागीर से,पुर्व सरपंच, सुरश पटेल, मनोहर पटेल बसान्द्रा से भारत दयाल, का मानना है कि ऐसा होने से किसानों को राहत तो मिलेंगी मगर इसमे ओर सुधार की गुंजाइश पर सरकार को ध्यान देना हीग। वहीं क्षिप्रा से किशोर पटेल, टाकुन से पदमसिंह ठाकोर , हातोद तहसील के रोजडी से सतानन्द पटेल, पिपलिया तफा से गोलु पटेल, ज्ञानसिंह पटेल, जम्मोडी हाप्सी से निरंजन सोलंकी, इंदौर तहसील के माचल से गंजानंद खादीवाल, मंहु के जामली से राधेश्याम मुकाती भारती बैन पाटीदार, खुरदा से शांति भाभर, तिल्लोर से मनीष ओर सेमलीया चाऊ से रविन्द्र ठाकुर, मंडलावदा से गोविंदसिंह के साथ ही अन्य क्षेत्रों के किसानों ने भी नए कानून में बदलाव की बात कही है।

पेंच क्या हैं…
नए कानून के तहत 5 नीलगाय ओर 5 जंगली सूअर को मारने की अनुमति सरकार द्वारा लाइसेंसी हथियार रखने वाले शिकारी को ही दी जाएंगी। इसके लिए शिकायत कर्ता किसान को वन विभाग में एक आवेदन करना होगा। आवेदन के तीन दिन में वनविभाग द्वारा यह तय किया जायेगा कि इन्हें अनुमति देना है या नही। इसके अलावा शिकारी की भी पूरी डिटेल देना होगी। अनुमति मिलने के बाद किसान अपने खेत में नुकसान पहुंचा रहे नीलगाय और जंगली सूअर को मारने की अनुमति देंगी। मगर इसमे भी पेंच यह है कि जानवर का शिकार जंगल के क्षेत्र में नही होना चाहिए। जानवर का शरीर किसान के खेत मे ही पड़ा होना चाहिए।
आठ दिनों में मिलेगी परमिशन
राज्य सरकार ने सन 2000 में नीलगाय के शिकार पर प्रतिबंध लगाने दिया था। जिसके चलते प्रदेश में नीलगाय की संख्या अधिक हो गई। इन 20 सालों में यह जंगल से निकल कर ग्रामीण क्षेत्र के आपस खेतो में ही झुंड के रूप में रहती है। एक झुंड में 5 से 25 तक नीलगाय होती है। यह फसल को खाती कम रौंदती ज्यादा है। इसी तरह जंगली सूअर को मारने पर प्रतिबंध 2003 में लगाया गया था। नए नियम के तहत ई मेल या वाट्सएप के माध्यम से वन विभाग के एसडीओ को दी गई जानकारी को भी आवेदन मान लिया जावेगा। इसके 8 दिनों बाद किसान को उक्त जानवर को मारने की परमिशन दे दी जाएंगी।

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