देश में बेरोजगारी का आंकड़ा चरम पर

तीसरी लहर के बाद रिकॉर्ड स्तर पर नौकरियां नहीं होगी

नई दिल्ली (दोपहर आर्थिक डेस्क)। देश में बेरोजगारी का आंकड़ा अपने 47 साल के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने जा रहा है। कोविड़ कॉल में गई नौकरियों में वापसी तो शुरू हुई है पर कम वेतन के साथ कई जगह समझोते हो रहे हैं। वहीं उनमें भी 30 प्रतिशत तक कमी बनी हुई है। भारत कोरोना की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है, लेकिन इससे देश में बेरोजगारी बेकाबू हो गई है। देश में बेरोजगारी दर दिसंबर महीने में रिकॉर्ड 7.91 फीसदी पर पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, यह दर बीते 4 महीने में सबसे ज्यादा है।
2021 में अक्टूबर को छोड़कर बाकी 11 महीनों में भारत के गांवों की तुलना में शहरों में ज्यादा बेरोजगारी रही। शहरों में काम करने की इच्छा और स्किल होने के बावजूद लोगों के पास कोई नौकरी नहीं है। ऐसे में ओमिक्रॉन की वजह से पाबंदियों का दौर लौटता है, तो देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। आंकड़ों से पता चला है कि देश की बेरोजगारी दर 7.4 फीसदी थी। सितंबर-दिसंबर 2021 के बीच के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी के मामले में हरियाणा 34.1 फीसदी के साथ राज्यों में सबसे ऊपर है। वैश्विक स्तर पर बेरोजगारों की संख्या कम से कम 2023 तक कोविड-पूर्व के स्तर से ऊपर रहेगी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल यानी 2022 में दुनियाभर में बेरोजगारों की संख्या 20.7 करोड़ रहेगी। यह 2019 की तुलना में 2.1 करोड़ अधिक है।

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