सरकारी ऐलान के बाद भी अभी नहीं होगी शराब सस्ती, नए ऐलान में अभी भी कई पेंच

हुई बहुत ही सस्ती शराब पूरी-पूरी पिया करो

इंदौर। प्रदेश में नई शराब नीति के आने पर शराब कारोबारी और ग्राहक दोनों में सस्ती शराब की बात मात्र प्रलोभन ही साबित हो रही है। स्लैब कम करने से मांग तो बढ़ेगी मगर ठेके की राशि कम नही हुई तो शराब सस्ती कैसे हो सकती है। वही शराब ठेकेदारों की मोनोपॉली तो टूटेंगी, जिससे छोटे समूहों को भी मौका मिल सकेगा। जानकारों का कहना है कि नई शराब नीति पर कई बिंदू ऐसे है जो स्पस्ट नही है, उन पर सरकार को प्रकाश डालने की जरूरत है। जैसे बेसिक लायसेंस फीस क्या होगी। छोटे ग्रुप्स को टेंडर देंगे या लायसेंस। 25 और 15 प्रतिशत रिजर्व प्राइज के तहत देसी विदेशी शराब पर भी नीति स्पस्ट नही है। साथ ही 10 प्रतिशत ड्यूटी का स्लैब कम करने और 10 प्रतिशत मार्जिन कम करने के बाद भी शौकीनों को सस्ती शराब कैसे मिल सकती है। टेंडर से शराब दुकानों को नीलाम करने के बाद ठेका बढ़ जाता है ऐसे में शराब सस्ती कैसे हो सकती है। इतना ही नही बेसिक लायसेंस की धरोहर राशि कितनी होगी यह भी स्पस्ट नही है। पूरे देश मे स्टाम्प ड्यूटी का स्लैब सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में ही है। टेंडर प्रक्रिया जब तक समाप्त नही होती तब तक शराब सस्ती नही हो सकती। ठेका बढ़ेगा तो कास्टिंग भी बढ़ेगी। ऐसे में शराब सस्ती हो ही नही सकती। शोसल मीडिया में चल रही नई शराब नीति अधिकृत नही है। जब तक सरकार के तरफ से अधिकृत पॉलिसी जारी नही की जाती तब तक कुछ भी कहना उचित नही होगा।
नई आबकारी नीति के अनुसार अप्रैल से देसी विदेशी शराब सस्ती होने के साथ ही घरों में चार गुना ज्यादा शराब रखने की अनुमति और शहर में माइक्रो ब्रेवरीज खोलने को मंजूरी वाली जानकारी अभी सिर्फ शोसल मीडिया के माध्यम से ही कही जा रही है। अभी कोई भी आधिकारिक तौर पर इसके बारे में बात करने से कतरा रहे है। क्योंकि नई शराब नीति गजट पास होने के बाद ही स्पस्ट होगी। जबकि कैबिनेट की बैठक नई शराब नीति को मंजूरी दे दी गई है मगर जब तक गजट नोटिफिकेशन जारी नही होता तब तक नीति स्पस्ट नही हो सकती।
कैबिनेट में सरकार ने फैसला लेकर विदेशी शराब पर एक्साइज ड्यूटी दस प्रतिशत से 13 प्रतिशत तक कम करने का फैसला लिया है। इससे शराब की डिमांड और बिक्री भी बढ़ेगी, मगर बिक्री नीलामी या लाइसेंस प्रक्रिया के माध्यम से होगी यह स्पस्ट नही किया गया है। साथ ही अंगूर के अलावा जामुन से भी शराब बनाने की अनुमति देने की बात कही गई है। कैबिनेट ने घर पर शराब रखने की सीमा में भी बढ़ोतरी की है। जिससे घर घर मे शराब बिकने लगेगी। वहीं जिस व्यक्ति की सालाना आय 1 करोड़ रूपए होगी, वह भी अपने घर में बार खोल सकेगा, यह नीति भी स्पस्ट नही है। वहीं देशी और विदेशी शराब की बिक्री अब एक ही दुकान से की जा सकेगी इसके लिए प्रदेश में 11 डिस्टलरी द्वारा जिलों में सप्लाई के लिए टेंडर जारी नहीं होंगे। सभी डिस्टलरी को सभी संभागों में विदेशी शराब की तरह गोदामों में शराब रखना होगी। ठेकेदार शराब की क्वालिटी और कीमत को देखकर वहीं से अपनी दुकानों के लिए शराब खरीद सकेंगे। माइक्रो ब्रेवरीज को मंजूरी मिलते ही बियर के शौकीनों को रोजाना फ्रेश बियर मिलने लगेगी। इसके लिए भी नई नीति में स्पस्ट नही है कि यह कैसे मिलेंगी।
हेरिटेज नीति भी होगी लागू
नई नीति के तहत अलीराजपुर और डिंडौरी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महुआ से बनने वाली शराब भी खुले बाजार में बेची जाएंगी। जिससे ग्रामीण इलाकों की शराब को बाहर बेचने के लिए बाजार तो मिलेंगे साथ ही रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। इस नीति से अवैध शराब बिक्री पर रोक लगेगी, वहीं छोटे व्यापारी को लाभ मिलेगा।
घर में बैठकर भी परोस सकेंगे शराब
नई नीति के तहत होम बार लाइसेंस देने का फैसला भी लिया है। अब वह व्यक्ति जिसकी सालाना आय एक करोड़ रुपए है, तो वह व्यक्ति घर पर अपना बार खोल कर शराब परोस सकता है। नई नीति के अनुसार 4 गुना शराब घर में रखी जा सकेगी, जबकि अभी तक घर में एक पेटी बीयर और 6 बॉटल शराब ही रखी जा सकती थी।

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