साढ़े चार करोड़ से भी अधिक भारतीय अत्यधिक गरीब हुए
कोरोना कुबेरों के लिए वरदान साबित हुआ 10 अमीरों की संपत्ति दुगुनी से ज्यादा हुई
नई दिल्ली (ब्यूरो)। कोरोना महामारी के संकट और लाकडाऊन के दौरान भारत में 4 करोड़ से भी ज्यादा लोग अत्यधिक गरीब हो गए हैं। अमीरों को बढ़ावा देने वाली अर्थव्यवस्था के भयावह आर्थिक दुष्परिणाम सामने आए, जिसमें विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से यह मामला सामने आया है। दूसरी तरफ देश के कुबेरों की संपत्ति दुगुने से ज्यादा हो गई है।
कोरोना महामारी देश के 84 फीसदी परिवारों के लिए मुसीबत बनकर आई तो धन कुबेरों के लिए वरदान। महामारी के दौरान देश के अरबपतियों की साझा संपत्ति जहां दोगुने से ज्यादा हो गई वहीं उनकी संख्या 39 फीसदी बढ़कर 102 से 142 हो गई। देश के 10 सबसे धनी लोगों की बात करें तो उनके पास इतना पैसा है कि ये देश के बच्चों की स्कूली व उच्च शिक्षा का 25 साल तक खर्चा उठा सकते हैं।
कोरोना महामारी के कारण पिछले एक साल में देश में 84 फीसदी परिवारों को जीवन और आजीविका की क्षति के कारण अपनी आय में गिरावट का सामना करना पड़ा। देश के 98 सर्वाधिक अमीर भारतीयों के पास करीब 49.27 लाख करोड़ की संपत्ति है। यह निचले तबके के 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है। गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट इनइक्वेलिटी किल्सÓ में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सामूहिक संपत्ति वर्ष 2021 में 57.3 लाख करोड़ के उच्च स्तर पर पहुंच गई। स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकॉनामिक फोरम की आनलाइन एजेंडा समिट के पहले दिन ऑक्सफैम ने यह रिपोर्ट जारी की है। देश के 142 अरबपतियों के पास सामूहिक रूप से 719 अरब डॉलर (53 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) की संपत्ति है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 98 अरबपतियों पर यदि वेल्थ टैक्स एक फीसदी बढ़ा दिया जाए तो विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का सात साल से ज्यादा समय तक खर्च निकल जाए। जबकि 10 सबसे धनी लोगों पर एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाया जाए तो 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए जा सकते हैं। महामारी की दूसरी लहर के दौरान जहां देश में ऑक्सीजन सिलेंडरों की भारी मारामारी मची थी, वहीं आयुष्मान भारत योजना से गरीबों का निशुल्क इलाज किया गया था। ऑक्सफैम के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा कि यह रिपोर्ट असमानता की कड़वी सचाई की ओर इशारा करती है। यह असमानता प्रत्येक दिन 21,000 लोग या हर चार सेकंड में एक व्यक्ति को मृत्यु की ओर धकेल देती है।
महिलाओं की कमाई पर बुरा असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी ने लैंगिक समानता को 99 साल से 135 साल पीछे धकेल दिया। महिलाओं की सामूहिक कमाई में वर्ष 2020 में 59.11 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। अब 2019 की तुलना में 1.3 करोड़ कम महिलाएं कार्यरत हैं।