चुनावी राज्यों पर भारी कर्ज का बोझ

नई सरकारें कई संकटों से जूझेगी, उत्तर प्रदेश पर 516 लाख करोड़ के कर्ज

नई दिल्ली (ब्यूरो)। एक ओर जहां पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है तो वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक के ताजा आंकलन के अनुसार पांच राज्यों की सरकार भारी-भरकम कर्ज उठा चुकी हैं और समयावधि के साथ ही इनकी किश्तें भी प्रारंभ हो रही हैं। सबसे ज्यादा कर्ज उत्तरप्रदेश सरकार ने उठा रखा है। 516 लाख करोड़ के कर्ज की देनदारी के बाद दूसरे नंबर पर दो लाख बयासी हजार करोड़ के कर्ज के साथ पंजाब है।
आरबीआई के आंकलन के अनुसार मार्च 2020-21 की स्थिति के मुताबिक उत्तरप्रदेश को कुल बकाया कर्ज का तकरीबन 48 प्रतिशत राशि का भुगतान अगले सात के भीतर करना होगा, जबकि उत्तराखंड की नई सरकार को अपने बकाया कर्ज का 58 फीसदी हिस्सा चुकाना होगा। इसके अलावा पंजाब में इन वर्षों में 43 फीसदी, गोवा को 58 और मणिपुर को 43 प्रतिशत कर्ज चुकाना है, वहीं दूसरी ओर इन सभी राज्यों में राजस्व संग्रहण की स्थिति बेहद खराब है। सरकार को अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए टैक्स में अच्छी-खासी वृद्धि करनी ही होगी। आरबीआई की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तरप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले व्यय की हिस्सेदारी 14.8 प्रतिशत से घटकर 12.5 प्रतिशत रह गई है, यानी शिक्षा के क्षेत्र में कोई उपलब्धि यहां नहीं है। दूसरी ओर पंजाब में भी शिक्षा की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत और स्वास्थ्य के क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत से घटकर 3.4 प्रतिशत रह गई है। उत्तराखंड में भी शिक्षा की हिस्सेदारी 18.1 प्रतिशत से घटकर 17.3 प्रतिशत हो गई है। आने वाली नई सरकारें इन राज्यों में भारी-भरकम कर्ज से डूबी रहेंगी और इनके लिए नए सिरे से अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर राजस्व का संग्रहण करना होगा।

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