डेढ़ साल में ही बैंकों के 8.38 लाख करोड़ के कर्ज बट्टे खाते में डाले गए

आरबीआई ने आंकड़ों की जादूगरी के साथ रिपोर्ट जारी की, डूबे कर्ज अब केवल 6.9 प्रतिशत बचे

मुंबई। एक ओर जहां सरकार बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने को लेकर कई कदम उठा रही है वहीं दूसरी ओर बैंकों के डूबत कर्ज में कोई कमी नहीं हो रही है। इस वित्तीय वर्ष में भी चार लाख करोड़ से ज्यादा के डूबत ऋण हो गए हैं। दूसरी ओर वर्ष 2020-21 में बैंकों ने पहले से ही 7 लाख 64 हजार करोड़ के कर्ज डूबत खाते में डाल रखे हैं। इधर रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बैंकों के डूबे कर्ज की स्थिति अब केवल 6.9 प्रतिशत ही बची है, जब इस मामले की तह तक जानकारी ली तो पता लगा कि बैंकों का आठ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बट्टे खाते में डाल दिया गया है और इसे बैंकों की बेलेनशिट से हटा दिया गया है, इसीलिए बैंकों के डूबत ऋण कम दिख रहे हैं।
आरबीआई की जारी की गई ताजा रिपोर्ट में आंकड़ों की भारी जादूगरी दिखाई गई है। जिन बैंकों के कर्ज डूबत खाते में डाले गए हैं उनमें सरकारी बैंकों के कर्ज ही सबसे ज्यादा हैं। एसबीआई सहित पांच प्रमुख बैंकों के 6.17 लाख करोड़ बट्टे खाते में डाले गए हैं, तो वहीं प्रायवेट बैंकों के 2 लाख करोड़ रुपए के कर्ज डूब गए हैं। कुल मिलाकर 8.38 लाख करोड़ के कर्ज डूब गए हैं, जिन्हेंं बट्टे खाते में डाल दिया गया है। बैंकों ने इन कर्जों को अपने खातों से हटा दिया है और इसी कारण बैंकों के डूबे हुए कर्ज नहीं दिख रहे हैं। वहीं ताजा वित्त वर्ष में ही चार लाख करोड़ और जुड़ गए हैं। हालांकि बैंकों ने डूबत कर्ज में से 1.18 लाख करोड़ की वसूली भी की है। कुल मिलाकर मोदी सरकार के कार्यकाल में लगभग 20 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज बट्टे खाते में डाले गए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

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