प्रधानमंत्री ने किया था लाल किले से आव्हान मध्यप्रदेश सरकार ने ही नहीं दिया कोई ध्यान

मामला घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने और सैलानियों को लुभाने का

इंदौर (आशीष साकल्ले)।
तीन वर्ष पूर्ण स्वाधीनता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से सन् २०२२ में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने एवं घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देशवासियों से किया था आव्हान, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने नहीं दिया कोई ध्यान। हालत यह है कि पर्यटन विभाग की लापरवाही एवं उदासीनता के चलते महानगर एवं उसके आसपास स्थित दर्जनों पर्यटन स्थल उपेक्षित एवं दुर्दशा के शिकार हो रहे है, लेकिन जिम्मेदार धृतराष्ट्र बने हुए है। सवाल यह उठता है कि क्या, पर्यटन विभाग एवं शिवराज सरकार के लिए माननीय प्रधानमंत्री के आव्हान का भी कोई औचित्य नहीं है?
स्वाधीनता की ७२ वीं वर्षगांठ १५ अगस्त २०१९ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत में देखने के लिए बहुत कुछ है। प्राकृतिक ऐतिहासिक, धार्मिक पर्यटन स्थल दर्शनीय है। देश के हर व्यक्ति को सन् २०२२ तक देश के कम से कम १५ पर्यटन स्थलों का भ्रमण करना चाहिए। यदि घरेलू पर्यटन बढ़ेगा तो देश में विदेशी सैलानियों की संख्या भी बढ़ेगी तो देश में विदेशी सैलानियों की संख्या भी बढ़ेगी। पर्यटन उद्योग आर्थिक रुप से सुदृढ़ होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बावजूद इसके, जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। महानगर इंदौर हो या मालवा निमाड़ की पहाड़ियां-वादियां, यहां चहुं ओर बिखरे पर्यटन स्थल आजादी के ७५ बरस बाद भी उपेक्षित और गुमनाम है। क्या यह जिम्मेदारों की नाकामी, प्रधानमंत्री के आव्हान की नाफरमानी नहीं है?

दुर्दशा के शिकार हो रहे कई पर्यटन स्थल…
महानगर इंदौर एवं उसके आसपास सैकड़ों दर्शनीय स्थल है। विडंबना यह है कि यह अभी भी उपेक्षित और गुमनाम है। जिम्मेदारों की लापरवाही एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव की वजह से ये पर्यटन स्थल दुर्दशा के शिकार हो रहे है। ना तो यहां तक पहुंच मार्ग है और ना ही कोई अन्य सुविधाओं। सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण आये दिन दुर्घटनाएँ होते रहती है। लोग न केवल अपाहिज-विकलांग हो जाते हैं बल्कि कई लोग जान भी गंवा देते हैं। कुछ दिन हंगामा होता है और फिर सबकुछ भुला दिया जाता है।
धार्मिक एवं आध्यात्मिक दर्शनीय स्थल
महानगर इंदौर दो ज्योर्तिलिंगों के बीच स्थित है। यहां पर पुरातात्विक महत्व के धार्मिक स्थलों की भी भरमार है। ओंकारेश्वर च ममलेश्वर ज्योर्तिलिंग सहित ऐतिहासिक अवंतिका नगरी (उज्जैन) है, जहां महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग लाखों करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्रबिंदु है। इसी प्रकार जानापाव में भगवान परशुराम जन्मस्थली श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इसी प्रकार खंडवा में दादाजी धुनीवालों का दरबार तो नैनोद में माताजी का दरबार भक्तोंकी आस्था का प्रसिद्ध स्थल है।
मालवा निमाड़ के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल
इधर मालवा निमाड़ क्षेत्र में धार जिले में स्थित मांडव, महेश्वर किला, सहधारा, नर्मदा घाट, रालामंडल एतिहासिक शिकारगाह, धार स्थित राजाभोज किला, जामगेट सहित अनेक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल भी हैं जहां सैलानियों का तांता जुटा रहता है। हालांकि यहां काफी विकास हुआ है, लेकिन अभी और भी व्यवस्थाएँ जुटाये जाने की जरुरत है।
महानगर में ही मौजूद है दो दर्जन पर्यटन स्थल
अहिल्या नगरी महानगर इंदौर का भी अपना बरसो पुराना इतिहास है। ब्रिटिश शासन के दौरान जहां अंग्रेजों ने यहां कई एतिहासिक इमारतें तामिल करवाई वहीं बाद में होल्करों ने कई निर्माण कार्य करवाये। शहर में दो दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल है। सैलानियों को यहां घूमने के लिए जहां किंग एडवर्ड हाल (गांधी हाल), राजवाड़ा, लालबाग पैलेस, रेसीडेंसी कोठी, फुटीकोठी, हवा बंगला हैं तो वहीं गोपाल मंदिर, कृष्णपुरा छत्री, गणगौढ़ घाट, राजपूत किला छत्रीबाग, बोलिया सरकार की छत्री, खजराना गणेश मंदिर, बड़ा गणपति, रणजीत हनुमानम मंदिर, अन्नपूर्णामाता मंदिर, बाणेश्वर कुंड, खजराना स्थित कालिका माता मंदिर, प्राणी संग्रहालय, कांच मंदिर, सेंट्रल म्यूजियम, हिंकारगिरी तीर्थ, गोम्मटगिरी, बिजासन टेकरी, देवगुराड़िया, लोटस वेली गुलावट, सिरपुर तालाब पक्षी विहार सहित अन्य पर्यटन स्थल आकर्षित करते हैं।
लोकप्रिय प्राकृतिक पर्यटन केंद्र
महानगर इंदौर मालवा के पठार पर स्थित है। मालवा और निमाड़ की हरीभरी पहाड़ियों-घाटियों-वादियों में सीतलामाता फाल, चोरल नदी, चोरल डेम, पातालपानी, तिंछाफाल, कजलीगढ़, मुहाली फाल, गिदिया खोह, चिढ़ियाभड़क, बने$ड़िया तालाब, जामघेट, हनुवंतिया, सैलानी टापू, सिद्धेश्वर जैसे कई लोकप्रिय प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी है। विडंबना यह है कि इनमे से कई पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए ना तो पहुंच मार्ग है और ना ही आवागमन की सुविधा।

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