15 जोनल प्लान में से एक भी तैयार नहीं हो पाया, 12 मेजर रोड भी नहीं बन पाए
अपनी सुविधा से खेलते रहे मास्टर प्लान से, अब नया लागू होगा
शार्दुल राठौर
इंदौर। इंदौर शहर को मेट्रोपॉलियन सिटी घोषित करने के साथ 2035 की तैयारी शुरू हो गई है, लेकिन मौजूदा मास्टर प्लान 2021 की कई योजनाओं पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। ऐसे में नए मास्टर प्लान की योजनाओं के पूरा होने पर कैसे भरोसा किया जाए यह सोचने का विषय है। क्योंकि मास्टर प्लान की योजनाओं को कागजों से उतार कर जमीन पर लाने तक प्रशासन कई बदलाव कर देता है। मौजूदा मास्टर प्लान की ही बात करें तो अब तक शहर के लिए तैयार किए गए 15 जोनल प्लान में से एक भी तैयार नहीं हो पाया। 2008 में रखी गई 12 मेजर रोड की योजना के साथ नए स्टेडियम कुमेड़ी में प्रस्तावित नया रेलवे स्टेशन की योजना पर अब तक कोई काम नहीं हुआ। इस बीच केंद्र ने अमृत योजना में शामिल सभी शहरों के मास्टर प्लान वर्ष 2035 के हिसाब से बनाने की गाइड लाइन दी।
1975 में लागू हुआ मास्टर प्लान-1991 हो या 2008 में आया मास्टर प्लान-2021, इनके कई प्रावधान आज तक अमल में नहीं आ पाए। यही कारण है कि रिंगरोड पूरी नहीं बन पाई। पश्चिमी रिंगरोड का चंदन नगर से उज्जैन रोड तक का हिस्से पर अफसरों और नेताओं के प्रयास असफल रहे है। मास्टर प्लान-1991 में शहर में 11 मेजर रोड का प्रस्ताव था। आज हाल यह है कि एमआर-1 (एबी रोड), एमआर-10 और एमआर-7 को छोड़ दें तो आठ सड़कें अधूरी है या शुरू ही नहीं हो पाईं। रिंग रोड-2 (आरई-2) भी इतने सालों में पूरी बनना तो दूर, पूर्वी रिंग रोड के समानांतर तीन-चार किमी में ही आकार ले पाई। मास्टर प्लान में मालवा मिल की 25 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित कन्वेंशन सेंटर भी नहीं बना। स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, ट्रांसपोर्ट हब का काम भी योजना घोषित करने के 13 साल बाद भी नहीं बढ़ पाया। मंडियों को शहर से बाहर ले जाने की योजना पर भी न जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली, न अफसरों ने। जानकार यह कह रहे हैं की पुराने मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अब बसाहट हो चुकी है। ऐसे में नए मास्टर प्लान को तैयार करने से पहले लैंडयूज का वास्तविक आकलन बहुत आवश्यक है।
आपतियों की सुनवाई पूरी
फिलहाल केंद्र की गाइड लाइन के बाद नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएंडसीपी) ने 28 शहरों के मास्टर प्लान के ड्राफ्ट लागू करने के बाद प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इंदौर के मास्टर प्लान को लेकर भी दावे आपत्तियों पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। पंचायत चुनाव की आचार संहिता से रुकी मास्टर प्लान 2035 की प्रक्रिया में अब तेजी आएगी।
जीआईएस पर आधारित होगा मास्टर प्लान
नया मास्टर प्लान जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) पर आधारित होगा। शहर की हर बिल्डिंग की इमेज हैदराबाद से विभाग को मिलेगी। उसका भौतिक सत्यापन भी कराया जाएगा। इसके बाद शहर के सभी भागों की वास्तविक जानकारी मिलेगी, जो मास्टर प्लान के लिए मददगार साबित होगी।-एसके मुदगल, संयुक्त संचालक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग।
तीन विभागों की संयुक्त जिम्मेदारी
इतना ही नहीं, मास्टर प्लान-2021 में प्रावधान था कि शहर के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाया जाएगा, जो नहीं बना। सरकारी प्रोजेक्ट के लिए लैंड बैंक भी नहीं बनाया। इंदौर में टीएंडसीपी, आईडीए और नगर निगम पर मास्टर प्लान के अमल की संयुक्त जिम्मेदारी है, लेकिन अभी जगह भाजपा की सरकार होने के बावजूद न विभागों में तालमेल दिखाई दिया न ही प्रस्तावित योजनाओं के साथ जोनल प्लान पर कोई काम हो पाया।
मास्टर प्लान की प्रमुख सड़कों के हाल
-एमआर-1 (एबी रोड) 2012 में बीआरटीएस के रूप में बदला। पहले टू-लेन रोड थी।
-एमआर-2 निरंजनपुर से बाणगंगा तक सड़क का अब भी बड़ा हिस्सा अधूरा है।
-एमआर-3 रीजनल पार्क के आगे नहीं बन पाई।
-एमआर-4 राजकुमार ब्रिज से उज्जैन रोड तक। कहीं टू लेन तो कहीं फोर लेन बनी है। कुमेड़ी तक जुड़ना बाकी।
-एमआर-5 नहीं बन पाई।
-एमआर-6 महू नाका से चंदन नगर तक का हिस्सा निरस्त करने की तैयारी।
-एमआर-7 नेमावर रोड बायपास तक पूरा बन गई है।
-एमआर-8 बंगाली चौराहे से कनाड़िया रोड पर बिचौली हप्सी के लिए। नहीं बन पाई।
-एमआर-9 अनूप टॉकीज से एबी रोड और रिंगरोड से बायपास तक नहीं बन सकी।
-एमआर-10 पूरी बन चुकी है।
-एमआर-11 काम भी शुरू नहीं हुआ।
-एमआर-12 यह सड़क प्लानिंग में 4 साल पहले जुड़ी। अब तक काम शुरू नहीं हुआ।