गरीब सालभर में डबल! देश में केवल 1 करोड़ लोगों की कमाई 65 करोड़ हुई
अमीरों और गरीबों के बीच भारी असमानता, 20 गुना चौड़ी खाई बन गई है
नई दिल्ली (ब्यूरो)। हाल के कुछ साल में खासकर कोरोना महामारी के बाद यह खाई और गहरी हो गई है. इसी महीने आई एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में यह असमानता अधिक है. भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल है, जहां अमीरों और गरीबों के बीच असमानता सबसे अधिक है। कई अर्थशास्त्री इसे भारत में विकास की रफ्तार को सबसे बड़ा रोड़ा बता रहे हैं।
पेरिस स्थित वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब ने इस महीने वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2022 जारी की. रिपोर्ट के अनुसार, भारत के टॉप 10 फीसदी अमीर लोगों ने 2021 में 11,65,520 रुपये की औसत कमाई की. दूसरी ओर 50 फीसदी गरीब आबादी को देखें तो इस क्लास में लोगों की औसत आय इस साल महज 53,610 रुपये रही. यह 20 गुना से भी अधिक चौड़ी खाई है. यहां तक कि 50 फीसदी गरीब लोगों की आय 2021 के राष्ट्रीय औसत 2,04,200 रुपये से भी कई गुना कम है।
बड़ी संख्या में गरीब हुए मिडिल क्लास के लोग
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, महामारी से मध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। इसके चलते मिडिल क्लास का एक तिहाई हिस्सा गरीबों की श्रेणी में पहुंच गया है और इसमें बड़ा हिस्सा शहरी आबादी का है।
1 फीसदी अमीर भारतीयों के पास 95 करोड़ लोगों से 4 गुना ज्यादा धन
भारत में अमीरों और गरीबों के बीच जबरदस्त असमानता बनी हुई है। भारत के सिर्फ 1 फीसदी अमीरों के पास देश की कुल जनसंख्या के 70 फीसदी यानी 95.3 करोड़ लोगों के पास मौजूद कुल धन का चार गुना ज्यादा धन है।
एक साल में दोगुनी हुई गरीबों की संख्या
इससे पहले प्यू रिसर्च सेंटर ने बताया था कि भारत में एक दिन में 150 रुपये भी नहीं कमा पाने वाले (क्रय शक्ति पर आधारित आय) लोगों की संख्या पिछले एक साल में बेतहाशा बढ़ी है. ऐसे लोगों की संख्या एक साल में ही छह करोड़ बढ़ गई है, जिससे गरीबों की कुल संख्या अब 13.4 करोड़ पर पहुंच गई है. देश में 1974 के बाद पहली बार न सिर्फ गरीबों की संख्या बढ़ी है, बल्कि भारत 45 साल बाद फिर से मास पोवर्टी वाला देश बन गया है।
65 करोड़ लोगों से दो गुना कमा रहे महज सवा करोड़ लोग
रिपोर्ट में और भी चौंकाने वाले आंकड़े दिए गए हैं। देश के टॉप एक फीसदी अमीरों को देखें तो कुल राष्ट्रीय आय में इनकी 22 फीसदी हिस्सेदारी है। अगर टॉप 10 फीसदी अमीरों की बात करें तो यह हिस्सेदारी बढ़कर 57 फीसदी पर पहुंच जाती है। वहीं दूसरी ओर 50 फीसदी निचली आबादी मिलकर सिर्फ 13 फीसदी कमा पाती है. यानी टॉप के 1.3 करोड़ लोग नीचे के 65 करोड़ लोगों की कुल कमाई से लगभग दो गुना पैसे बना रहे हैं।