इंदौर-दाहोद रेल प्रोजेक्ट का काम फिर से शुरू

32 स्टेशन, 41 बड़े पुल और 5 किमी लंबी टनल बनेगी

इंदौर (धर्मेन्द्रसिंह चौहान)।
रेलवे ने इंदौर दाहोद प्रोजेक्ट् पर फिर से काम शुरू करने का फैसला लिया है। यह प्रोजेक्ट 2 साल से बंद था। इस प्रोजेक्ट की लागत 2000 करोड़ रुपये है। इस रेल लाइन के बन जाने पर इंदौर से गुजरात और महाराष्ट्र का सफर आसान होगा। इस प्रोजेक्ट में 41 बड़े जबकि 32 छोटे-बड़े रेलवे स्टेशन बनाए जाना है। रेल लाइन इंदौर, पीथमपुर, धार, सरदारपुर, झाबुआ, छोटा उदयपुर होते हुए दाहोद को जोड़ेगी। प्रोजेक्ट की शुरुआत 2008 में हुई थी। इंदौर से टीही तक का काम पूरा हो चुका है लेकिन इस पर अभी सिर्फ कंटेनर ट्रेन चलाई जा रही है।
अब जल्दी इंदौर-दाहोद रेल लाइन पर ट्रेन दौड़ने लगेगी। इस रेल लाइन के काम को शुरू करने के लिए हरी झंडी मिल गई है। इसके जरिए आर्थिक राजधानी इंदौर सीधे गुजरात से कनेक्ट हो जाएगी। इस रेल लाइन का प्रोजेक्ट पिछले 2 साल से बंद पड़ा था, लेकिन अब रेलवे प्रशासन ने इसे एक बार फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। रेलवे बोर्ड ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि ये रेल लाइन इंदौर, पीथमपुर, धार, सरदारपुर, झाबुआ, छोटा उदयपुर होते हुए दाहोद को जोड़ेगी। इसकी लंबाई करीब 200 किलोमीटर है। पीथमपुरा, सागौर, गुनावद, धार, तिरला, अमझेरा, सरदारपुर, राजगढ़, पानपुरा, उमरकोट, अंबलवानी, फतेहपुरा, झाबुआ, पिलोट, कतवारा शहर और कस्बे के लोग रेल लाइन से सीधे कनेक्ट हो जाएंगे। दाहोद लाइन की पहली सुरंग टीही और पीथमपुर स्टेशन के बीच बनना बाकी है। करीब दो किलोमीटर लंबी इस सुरंग के बनने के बाद ही पीथमपुर और धार तक रेल लाइन पहुंच पाएगी। अन्य सुरंगें धार से झाबुआ के बीच बनेंगी जिनका निर्माण खासतौर पर माछलिया घाट वाले हिस्से में होगा।टीही से जाने वाले कंटेनर निकट भविष्य में वडोदरा होकर सीधे मुंबई पहुंच सकेंगे। जिससे धार भी एक बड़ा जंक्शन बनकर उभरेगा। इंदौर से जाने वाली ट्रेनें गुजरात होकर जल्द ही महाराष्ट्र पहुंच सकेंगी। वहीं दूसरी ओर, इंदौर से मुंबई की दूरी भी कम हो जाएंगी। खंडवा की तरह यहां से कई ट्रेनें संचालित हो सकेंगी। रेलवे के मुताबिक, 21 किलोमीटर तक का काम इंदौर से टीही के बीच पूरा हो चुका है. 16 किलोमीटर तक काम दाहोद से कठवाड़ा के बीच पूरा हो चुका है. 8 फरवरी 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, तत्कालीन रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव के हाथों झाबुआ में 8 फरवरी 2008 को इंदौर-दाहोद और छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई थी. तब खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि 2011 तक दोनों रेल लाइनों पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा. लेकिन, इसका काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है. इस प्रोजक्ट की लागत भी बढ़ती जा रही है। 2022 तक इस प्रोजेक्ट पूरा करने का टारगेट था, लेकिन कोरोना काल में इसका काम बंद हो गया. 1640 करोड़ का प्राजेक्ट बढ़ कर 2000 करोड़ हो गया. अब तक 847 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इस प्रोजेक्ट में 331 पुल बनाए जाने हैं. इनमें 41 बड़े और 290 छोटे हैं, जबकि 32 छोटे-बड़े कुल रेलवे स्टेशन रहेंगे. अब रेलवे के पास लगभग 175 करोड़ रुपये का बजट है।

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