नवीनीकरण के इंतजार में 466 अशासकीय स्कूल उलझे

संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी नहीं बता पा रहे क्यों अटका रखी है मान्यताएं

इंदौर। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले के 466 अशासकीय स्कूलों को नए सत्र के लिए स्कूल संचालन के लिए मान्यता नवीनीकरण जारी नहीं की है। इस मामले में विभाग के अधिकारी मान्यता के लिए आवश्यक दस्तावेज पूर्ण नहीं होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में कोरोना के कारण दो साल से बंद स्कूल के खुलने पर फिर संकट खड़ा हो गया है।
इंदौर जिले में पहली से 12वीं तक के करीब 2500 से अधिक स्कूल हैं। जो माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता प्राप्त है, इन्हें हर साल मान्यता का नवीनीकरण करवाना होता है। पिछले दिनों एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की मांग पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कुछ मान्यता के प्रकरणों का समाधान निकलकर सुलझा लिया, लेकिन इनमें 466 ऐसे अशासकीय स्कूल जिन्हें ट्रस्ट संचालित करती है। उनकी मान्यता के मामले नहीं सुलझा गए। ट्रस्ट के स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण के लिए अधिकारी भोपाल मुख्यालय के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। शहर में ट्रस्ट द्वारा संचालित परसरामपुरिया, खालसा, माहेश्वरी, तिरथ बाई कलाचंद और क्लाथ मार्केट गर्ल्स के संचालकों की शिकायत है की कई मामले में छोटी-छोटी खामी बताकर स्कूलों की मान्यता निरस्त की जा रही है। प्रकरणों का निराकरण करवाने के लिए भोपाल जाना पड़ता है। स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले 2 वर्षों से कोरोना की वजह मान्यता जारी नहीं की थी, इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मान्यता के नवीनीकरण को लेकर आ रही खामियों को लेकर असमंजस में हैं। जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने स्कूलों की मान्यता के नवीनीकरण की विसंगतियां दूर करने के लिए विभाग के मुख्यालय या वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश मिलने की बात कही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जल्द इस मामले को सुलझा लिया नहीं गया तो इसका सीधा नुकसान इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ेगा।

संयुक्त संचालक (जेडी) कराते हैं सर्वे
स्कूलों की मान्यता देने के लिए संयुक्त संचालक जेडी स्कूलों का सर्वे करते हैं। सर्वे की फाइल की जांच के बाद उसे भोपाल भेजा जाता है, वहां से माध्यमिक शिक्षा मंडल की टीप लगने के बाद मान्यता की सहमति की अनुमति जिला शिक्षा विभाग को मिलती है। बताते हैं अभी तक सर्वे भी पूरा नहीं हो सका है।
20 से 30 साल बीते
कई अशासकीय स्कूल 20 से 30 साल से चल रहे हैं। सभी स्कूलों की मान्यता हर साल रिन्यू की जाती है। कोरोना संक्रमण के कई स्कूल असमय बंद भी हो गए, क्योंकि वे खर्च नहीं उठा पा रहे थे। शैक्षणिक सत्र को बीते छह माह से अधिक हो गया है, अब तक मान्यता नहीं मिलने से परेशानी हो रही है।
रिश्वतखोरी भी बड़़ा कारण
स्कूल संचालकों की मानें तो मान्यता के पीछे रिश्वतखोरी भी एक कारण बताया जा रहा है। बगैर लेनदेन के विभाग में काम नहीं होता। यही कारण है कि मान्यता संबंधी फाइल विभाग की अलमारी में धूल खा रही है और संचालक गण परेशान हो रहे हैं। स्कूलों को मान्यता नहीं मिलने का खामियाजा कई बार बच्चों को भी भुगतना पड़ता है।

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