15 साल पुराने चार लाख से अधिक वाहन फैला रहे हैं महानगर में प्रदूषण

यदि यह कंडम वाहन प्रचलन से बाहर कर दिये जाए तो एयर इंडेक्स में हो सकता है सुधार

इंदौर। लगभग ४० लाख से अधिक आबादी वाले महानगर इंदौर में हाल फिलहाल १५ साल पुराने ४ लाख से अधिक वाहन चल रहे हैं। जिनका प्रदूषण फैलानेमेंमहत्वपूर्ण योगदान है। यदि इन कंडम वाहनों को प्रचलन से बाहर कर दिया जाए तो एयर इंडेक्स में काफी सुधार हो सकता है साथ ही आमजन को भी वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार इन चार लाख से अधिक वाहनों में से दो लाख वाहन तो ऐसे हैं जो दिसंबर २०२१ के हिसाब से पंद्रह साल की आयु पूर्ण कर चुके हैं। लेकिन नियमों की कमी के चलते उन पर रोक नहीं लगाई जा पा रही है। यदि इन वाहनों को सख्ती से प्रचलन से बाहर कर दिया जाता है तो वायु प्रदूषण में आठ से दस फीसदी तक की कमी आ सकती है।

ठंड के दिनों में बढ़ जाता है अधिक वायु प्रदूषण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक इंदौर में सामान्यत: प्रदूषण कम ही रहता है, लेकिन ठंड की वजह से इसकी मात्रा बढ़ जाती है। यदि पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो प्रदूषण की मात्रा में कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त व्यापारिक इलाकों से भी डीजल चलित वाहनों को हटाकर उनके स्थान पर ई-रिक्शा को प्रचलन में लाया जा सकता है। इसके लिए योजना भी बनाई गई है। शहर में सर्वाधिक प्रदूषण इन दिनों आटोरिक्शा एवं लोडिंग रिक्शा फैला रहे हैं। और इनमे से अधिकांश अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। यदि इन्हें सड़कों से हटा दिया जाता है तो हालात काफी हद तक सुधर सकते हैं।
क्यों हटाया जाना चाहिए इन वाहनों को..
विशेषज्ञों के मुताबिक जिन वाहनों का सही तरीके से रखरखाव नहीं होता हैं वे वाहन ज्यादा धुंआ छोड़ने लगते हैं। ज्यादा चलने पर वाहन के इंजर के पार्ट्स भी घिस जाते हैं और वाहन में पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ने के साथ ही जहरीला धुंआ भी वातावरण में घुल जाता है। डीजल चलित वाहन को पेट्रोल वाहनों की तुलना में और अधिक प्रदूषण फैलातेहैं। यदि ऐसे कंडम वाहनों को डम्प कर दिया जाए या प्रचलन से हटा दिया जाए तो वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है।
केंद्रसरकार की स्क्रैप पॉलिसी से हो सकता है सुधार
बताया जाता है कि प्रदेश में पंद्रह वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को लेकर कोई नियम नहीं है। जिसके चलते रजिस्ट्रेशन खत्म होने पर इन वाहनों को ट्रेस कर पुन: इनका पंजीयन कर दिया जाता है। जबकि कमर्शियल वाहनों का फिटनेस टेस्ट करवाकर इनके रजिस्ट्रेशन भी रिन्यू कर दिये जाते हैं। यद्यपि केंद्र सरकार की स्क्रैप पालिसी आने के बाद अब ऐसे वाहनों के पुन: रजिस्ट्रेशन पर रोक लगने की बात अधिकारियों द्वारा की जा रही है।

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