पॉवरफुल नहीं लूली-लंगड़ी कमिश्नरी!

कमिश्नर को एडीएम के अधिकार

इंदौर। कई दिनों की मेहनत के बाद इंदौर में लूली-लंगड़ी पुलिस कमिशनरी अंतत: लागू हो गई। नई पुलिस कमिशनरी में कमिशनर के पास एडीएम (अतिरिक्त जिलादंडाधिकारी) के ही पावर रहेंगे, जबकि पुलिस कमिशनरी में जिला मजिस्टेट के पावर चाहे गए थे। रैली, जुलूस, कथा और प्रदर्शन की मंजूरी के लिए पहले भी पुलिस विभाग से ही अनुशंंसा होती थी। शराब की दुकानों के परमिट का मामला हो या वाहनों के परमिट का यह फैसले अब भी जिला कलेक्टर के अधीन ही है, जबकि देशभर के अन्य राज्यों के शहरों में लागू की गई पुलिस कमिशनरी को पूरे अधिकार दिए गए हैं।
इंदौर और भोपाल में लागू की गई पुलिस कमिशनरी में अभी भी कई पेंच रह गए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि रासूका की कार्रवाई के लिए पुलिस कमिशनर रैंक का अधिकारी जिला कलेक्टर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। पुलिस कमिशनरी में कमिश्नर को कलेक्टर के अधिकार नहीं दिए गए हैं। वैसे भी सीआरपीसी की धारा 36 में सारे अधिकार थाना प्रभारी के पास ही रहते हैं, जो समय आने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मिली शक्तियों में समाहित हो सकते हैं। जिन मामलों में पुलिस को अधिकार दिया जाना बताया गया है वह तो पहले से ही पुलिस के पास ही कार्रवाई के लिए थे। सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि इंदौर में पुलिस कमिश्नर क्या आईजी रैंक का अधिकारी होगा या एडीजी रैंक का? इंदौर शहर को पहला पुलिस कमिश्नर ईमानदार और सख्त छबि का ही मिले ताकि कर्मचारियों का मनोबल भी बना रहे। दूसरी ओर माफिया अभियान के मामले में भी पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस को शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई का अधिकार तो था ही, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डीएम के अधिकार जो कमिश्नर के पास होने चाहिए थे, वह नहीं मिले हैं। एडीएम के अधिकार ेदेकर कमिश्नर का कद वैसे ही कलेक्टर के सामने कम हो गया है। लाउड स्पीकर और देर रात बोरिंग के लिए पहले से ही रात 11 बजे बाद कानून के अनुसार भी प्रतिबंध है। जमीनों के नाम पर जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में पुलिस को पहले से ही अधिकार है। यानि कुल मिलाकर पावरफुल नहीं पावरकट कमिश्नरी लागू हो गई है।

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