पाँच साल में भी नहीं मिल सका एस्ट्रोटर्फ
खेल राजधानी में किया जा रहा खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़
इंदौर। आप माने या ना माने लेकिन हकीकत यही है कि खेल राजधानी रुप में ख्यात महानगर इंदौर में ही खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि बजट में स्वीकृति के बावजूद पांच साल में भी हाकी खेलने वाले खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फनहीं मिल सका। इस वजह से खिलाड़ियों को उबड़ खाबड़ जमीन पर हाकी खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
देखा जाए तो इंदौर में देश को राष्ट्रीय एवं अंतरर्राष्ट्रीय कई खिलाड़ी दिये हैं। इनमे कर्नल नायडू, मेजर जगदाले, अमय खुरासिया, नरेंद्र हिरवानी (क्रिकेट), मीररंजन नेगी (हाकी) आदि प्रमुख है। यही वजह है कि इंदौर को प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी के साथ साथ खेलों की राजधानी होना का भी गौरव प्राप्त है। इसके बावजूद खेलों के विकास, उन्नयन उनके आयोजन एवं खेल गतिविधियों के मामले में इंदौर के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
२०१६ में मिली थी एस्ट्रोटर्फ की मंजूरी
शहर में हाकी खिलाड़ियों के लिए एस्ट्रोटर्फ बनाये जाने की मांग दशकों पुरानी है, लेकिन हमेशा आश्वासन ही मिलते रहे। लंबा अर्सा गुजरने के बाद सन २०१६ में विधानसभा के बजट में जब एस्ट्रोटर्फके लिए पांच करोड़ रुपए की राशि मंजूर हुई तो हाकी खिलाड़ियों में एक नई आशा का संचार हुआ, लेकिन समय गुजरने के साथ यह आशा निराशा में तब्दल होने लगी। हद तो यह है कि, एस्ट्रोटर्फ लगाने के लिए शासन ने पांच करोड़ रुपए की राशि में से दो करोड़ रुपए लोकनिर्माण विभाग को स्वीकृत भी कर दिये लेकिन मामला फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका।
छोटे शहरों को मिल गई सौगात, इंदौर टापता रहा
यह आश्चर्यजनक लेकिन विचित्र सत्य है कि सन २०१६ के बजट में इंदौर सहित प्रदेश के पांच शहरों में एस्ट्रोटर्फ को मंजूरी मिली थी इनमे मंदसौर, सागर, होशंगाबाद और सागर में तो खिलाड़ियों को एस्ट्रोटर्फ की सौगात कभी की मिल चुकी है लेकिन इंदौर टापते (देखते) ही रह गया हालांकि पिछले माह खेल निदेशक रविकुमार गुप्ता ने डाइट का दौरा कर एस्ट्रोटर्फ के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये है लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते एस्ट्रोटर्फ का मामला हाल फिलहाल अधर में ही लटका नजर आ रहा है। देखना यह है कि आगे आगे होता है क्या?
बिजलपुर के डाइट को किया था चिन्हित
बजट में हाकी खिलाड़ियों के लिए पांच करोड़ रुपए की लागत वाला एस्ट्रोटर्फ की मंजूरी मिलने के बाद इसके लिए बिजलपुर स्थित डाइट कैम्पस की जमीन चिन्हित की गई थी। इसके लिए बकायदा खेल विभाग के अधिकारियों ने यहां का दौरा कर अवलोकन भी किया था साथ ही यहां की घास काटने के निर्देश भी दिये थे। बावजूद इसके ना तो घास कटी और ना ही एस्ट्रोटर्फलगाये जाने की प्रक्रिया ही आगे बढ़ सकी।