आप्शन नहीं होने से आफत बन गई आनलाइन सुविधा

नाबालिग लाइसेंस धारक को वयस्क होने पर फिर करना होगी प्रोसेस

(आशीष साकल्ले)
इंदौर वाहन स्वामियों एवं चालकों को विभिन्न परेशानियों से बचाने के लिए परिवहन विभाग ने नवीन लर्निंग एवं स्थाई लाइसेंस बनवाने हेतु आनलाइन सुविधा मुहैया कराई है, लेकिन यही सुविधा अब आफत बन गई है। वजह यह है कि इसमे आप्शन ही नहीं है। इतना ही नहीं, लाइसेंस इंडोजमेंट की सुविधा नहीं होने से अब नाबालिग लाइसेंस धारक को वयस्क होने पर फिर से प्रोसेस करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
देखा जाए तो परिवहन विभाग चार माह पहले १ अगस्त से इंदौर आरटीओ में नवीन लर्निंग एवं स्थाई लाईसेंस बनवाने की आनलाइन व्यवस्था शुरु की है। इस काम का दायित्व स्मार्टचिप कंपनी को सौंपा गया है। परिवहन विभाग ने इस आनलाइन व्यवस्था की शान में कई कसीदे गढ़े थे लेकिन समय के साथ साथ इस व्यवस्था मेंना केवल तमाम खामियां नजर आने लगी, बल्कि यह व्यवस्था समस्याओं का सबब भी बन गई। हद तो यह है कि आनलाइन व्यवस्था में आप्शन ही नहीं दिये गये है, यानि पहले आफलाइन में जो सुविधा उपलब्ध थी, आनलाइन व्यवस्था में उसे भी छीन लिया गया।

वयस्क होने पर फिर से वही ए-बी-सी-डी….
आरटीओ में जब ऑफलाइन काम होता था, उस समय नाबालिग वाहन चालक के लिए बिना गियर वाले वाहन के लाइसेंस बनाये जाते थे। जब नाबालिग वाहन चालक १८ वर्ष यानी वयस्क होता था तो उसी लाइसेंस को अनुमोदित कर गियर वाले लाइसेंस में परिवर्तित कर दिया जाता था। मतलब यह कि आनलाइन व्यवस्था में बिना गियर वाली गाड़ी से गियर वाली गाड़ी में इंडोजमेंट होने की लाइसेंस सुविधा छीन ली गई। इस कारण अब नाबालिग लाइसेंस धारक को लाइसेंस के लिए आरटीओ की वेबसाइट पर फिर से वही ए,बी,सी,डी… (प्रोसेस) करनी होगी और फीस भी भरनी होगी।

डुप्लीकेट कापी की सुविधा नहीं होने से भटक रहे लोग
सामन्यत: पहले लाइसेंस गुम जाने, खराब हो जाने या नष्ट हो जाने वाहन के नंबर के आधार पर आरटीओ द्वारा लाइसेंस की डुप्लीकेट कापी जारी कर दी जाती थी, लेकिन हाल फिलहाल आनलाइन व्यवस्था में डुप्लीकेट लाइसेंस का कोई आप्शन ही नहीं दिया गया है। इस वजह से वाहन चालकों को भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

सामंजस्य का अभाव सबसे बड़ी समस्या
आनलाइन व्यवस्था में तमाम खामियों के उजागर होने पर जब इस प्रतिनिधि द्वारा स्मार्ट चिप कंपनी के इंचार्ज विकास जी से चर्चा की तो उनका कहना था कि परिवहन विभाग के अफसरों ने वेबसाइट में जो डाटा मांगा था हमने वही उन्हें उपलब्ध कराया है। तात्पर्य यह कि परिवहन विभाग और स्मार्ट चिप कंपनी के अफसरों में सामंजस्य का अभाव है और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।

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