3 साल में भी नहीं हो सका 12 चौराहों का विकास

इंदौर (आशीष साकल्ले)।
महानगर की बिगड़ती हुई यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने और एक दर्जन प्रमुख चौराहों को विकसित करने के लिए लगभग तीन बरस पहले निगम प्रशासन द्वारा दस करोड़ रुपए की योजना बनाई गई थी, लेकिन तीन साल बाद भी यह योजना साकार नहीं हो सकी। अब एक बार फिर नगर निगम प्रशासन द्वारा यातायात पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक सुधार हेतु बड़ी सर्जरी की तैयारियां की जा रही हैं। इसके तहत शहर के २१४ प्रमुख चौराहों को ठेले-गुमटियों से मुक्त करवाने के साथ ही पुल पुलिया और चौराहों के सौ मीटर की परिधि में किसी की भी दुकानदारी नहीं चलने दी जाएगी। सवाल उठता है कि तीन साल में १२ चौराहों पर तो विकास नहीं कर पाये अब २१४ प्रमुख चौराहों का विकास कितने वर्षों में होगा। कहीं बजट की कमी तो इसमे रोड़ा नहीं बनेगी?

सूत्रों के मुताबिक स्वच्छता में लगातार पाँचवी बार देश में नंबर वन रहने वाले इंदौर को अब सुगम यातायात की दृष्टि से भी अब देश में नंबर वन बनाने की तैयारियां है इसके लिए पिछले दिनों नगर निगम और यातायात पुलिस की एक संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया बैठक में निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल ने कहा कि पुल पुलियाओं के उतार चढ़ाव वाले हिस्सों और चौराहों के आसपास ठेले-गुमटियां नहीं दिखने चाहिए। जिन चौराहों पर लैफ्ट टर्न पर अतिक्रमण है उन्हें भी तत्काल हटाया जाए साथ ही शहर में सर्वेक्षण कर पुराने ट्रैफिक सिग्रलों को सुधारने या बदले जाने के भी निर्देश दिये। निगमायुक्त ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विभिन्न पुल पुलियाओं और चौराहों के आसपास सौ मीटर क्षेत्र की परिधि में किसी भी प्रकार के व्यापार-व्यवसाय करने वालों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
रोड़ा तो नहीं बनेगी बजट की कमी?
यहां पर यह भी प्रासंगिक है कि तीन साल पहले निगम प्रशासन द्वारा १२ प्रमुख चौराहों को विकसित करने के लिए दस करोड़ रुपए की एक महत्वकांक्षी योजना बनाई गई थी। इसके तहत लैफ्ट टर्न चौड़े करने, रोटरी एवं सिग्रल की समुहित व्यवस्था करने के साथ ही इन्हें विशेष थीम पर सजाया जाना था। इसकी शुरुआत अग्रसेन चौराहे से हुई लेकिन काम पूरा नहीं हो सका। इसी प्रकार छावनी से नवलखा की ओर से लैफ्टटर्न भी चौड़ा नहीं हुआ। इधर विजयनगर रोटरी को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत छोटा अवश्य कर दिया गया लेकिन सिग्रल की व्यवस्था नहीं बदली जा सकी। इतना ही नहीं नवलखा, मूसाखेड़ी, भंवरकुंआ, तीन ईमली, खजराना, राजमोहल्ला, पलासिया का सांकेत चौराहा और इंदौर वायर चौराहा भी विकसित नहीं किया जा सका। निगम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इन चौराहों में से अधिकांश चौराहों पर तो काम ही शुरु नहीं हुआ और जिन इक्का-दुक्का चौराहों पर काम शुरु हुआ वह अभी तक पूरा नहीं हो पाया। इसकी प्रमुख वजह यह रही कि दस करोड़ की योजना के लिए महज २ करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। अब एक बार फिर जब महानगर के २१४ प्रमुख चौराहों को विकसित करने की योजना बनी है तो यह सवाल उठना लाजमी है कि कहीं फिर बजट की कमी चौराहों के विकास में बाधक न बन जाए।

सर्जरी के लिए चिन्हित किये गये प्रमुख चौराहे
स्वच्छता का पंच मारने के बाद यातायात में भी शहर को देश का नंबर वन शहर बनाये जाने के लिए लगभग २१४ चौराहों का विकास किया जाना जरुरी है। इनमे देवास नाका से राऊ बायपास तक जहां ३४ चौराहें हैं वहीं देवास नाका से राजीव गांधी चौराहा रिंगरोड़ तक १४ चौराहें हैं। इसी प्रकार मध्यपूर्व क्षेत्र के छावनी से चंदननगर तक १५ चौराहे, महाराजा यशवंत राव हास्पिटल से एमजी रोड़ के राजमोहल्ला चौराहे तक २२ चौराहें, रेलवे स्टेशन क्षेत्र के १४ चौराहों के साथ ही पूर्वी एवं पश्चिमी क्षेत्र के ११ अन्य चौराहें भी विकसित किये जाने के लिए चिन्हित किये गये हैं। जहां यातायात की दृष्टि से निगम यातायात पुलिस के साथ मिलकर सर्जरी करने की तैयारी में है।

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