दैनिक दोपहर : स्वच्छ पत्रकारिता का विश्वविद्यालय, सेवाभाव ही रहा उद्देश्य

– अरुण हार्डिया
इंदौर । आज दैनिक दोपहर अखबार 41 वर्ष में प्रवेश कर रहा है। अपने सिद्धांतों के मार्ग पर चलते हुए इस अखबार ने कई उतार चढ़ाव को पार करते हुए अपना एक अलग ही स्थान पत्रकारिता जगत में बनाया है। दैनिक दोपहर अखबार के साथ-साथ अपनी सेवा भावना के लिए भी जाना जाता है। दैनिक दोपहर संस्थान में कई ख्यात नाम पत्रकार ने अपनी सेवाएं दी। जो आज कई न्यूज चैनलों और दैनिक अखबारों में कार्यरत है। हमेशा से ही हित की पत्रकारिता कर दैनिक दोपहर ने अपना एक अलग ही पाठकों वर्ग तैयार किया है। संस्थान का परिसर भले ही छोटा है लेकिन यहां पर पत्रकारिता करने वाला पत्रकार हमेशा से ही बड़ा रहा है। यहां से निकले पत्रकार हर विद्या में निपुण होकर नाम बना रहे है।
27 नवम्बर 1980 को दैनिक दोपहर संस्थान की नींव रखी गई थी उस समय सांध्यकालीन अखबारों को ज्यादा नहीं पढ़ा जाता है लेकिन दैनिक दोपहर ने अपनी स्वस्थ पत्रकारिता के चलते लोगों को सांध्य अखबार पढ़ने की आदत सी डलवा दी। इसकी शुरुआत में ही ऐसे पत्रकारों का जुड़ाव रहा जिनकी प्रतिभा आज किसी से छुपी नहीं है। दोपहर अखबार के प्रारंभ में शेखर अवसरकर ने संपादन का कार्य संभाला उन्होंने दैनिक दोपहर में संपादन कार्य करते हुए अपनी कलम को इस तरह से निखारा जिससे उनकी अपनी एक अलग पहचान पत्रकारिता जगत में बनी। उसके बाद वे कई बड़े संस्थानों में अपनी कलम चकम बिखरते रहे। इसी कड़ी में कई संपादकों ने इस संस्थान में अपनी सेवाएं दी। जिनमें सत्यव्रत रस्तोगी, रविन्द्र दुबे, अशोक शिंदे, मांगीलाल चौहान, मदन भगत, शरद शिंदे, जीएस यादव, तेजकुमार सेन सहित कई पत्रकारों यहां से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की और अपनी पत्रकारिता के कई आयाम स्थापित किए। करीब 300 के लगभग पत्रकार है जिन्होंने दैनिक दोपहर से अपनी पत्रकारिता का प्रारंभ किया और आज पत्रकारिता जगत में पूरी तरह से छाए हुए हैं। किसी भी संस्थान से इतनी बड़ी संख्या में परिपक्व होकर लोगों का निकलना अपने आप में इस संस्थान की विशेष कार्यशैली को दर्शाता है। दैनिक दोपहर परिसर में जो भी कार्य के दौरान एक स्वच्छ वातावरण मिलता है। यहां पर स्वच्छ व स्वस्थ पत्रकारिता तो सिखाई ही जाती है लेकिन साथ-साथ अखबार संबंधित सभी कार्यों की भी बारिकी यहां पर काम करने वाला अपने आप ही सीख जाता है..क्योंकि उसे यहां पर वैसा माहौल मिलता है। संस्थान का पूरा माहौल पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों पर कार्य करता है। यहां पर व्यवसायिकता को हावी नहीं होने दिया जाता है। हित पत्रकारिता ही यहां का मूल सिद्धांत है।
मुझे इस संस्थान से जुड़े हुए करीब 13 वर्ष हो चुके हैं लेकिन मुझे एक बार भी नहीं लगा कि मैं किसी दफ्तर में कार्य करता हूं मुझे हमेशा से ही यहां पर एक पारिवारिक माहौल मिला। कार्य करना और सीखने में बहुत अंतर है । मैन कई संस्थानों में कार्य किया लेकिन यहां पर मैने हमेशा से ही सीखा। पत्रकारिता के लिए दैनिक दोपहर पूरी तरह से एक विश्वविद्यालय है जहां पर निरंतर सीखने को मिलता है।

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