न्याय नगर के बाद सिरपुर में भी 443 एकड़ सरकारी भूमि पर अवैध कॉलोनियां कटना शुरू

सिलिंग के तहत यह भूमि सरकार के खाते में जमा हो चुकी है

इंदौर। शहर में सीलिंग में शामिल हुई जमीनों पर बड़े पैमाने पर कालोनियां काटकर अवैध रुप से प्लॉट बेचे जा रहे हैं। इसी के चलते जहां न्याय नगर में संस्था ने मंदिर सहित दरगाह की जमीनें भी प्लाट काटकर बेच दी, वहीं इसी प्रकार का एक ओर फर्जीवाड़ा सिरपुर में भी जमकर चल रहा है। सरकारी घोषित हो चुकी 443 एकड़ जमीन पर जहां एक ओर प्रशासन अभी कागज देखने में ही लगा है, वहीं जमीनों के जादूगरों ने यहां सड़क बनाकर कॉलोनी में प्लाट बेचने भी शुरू कर दिया है। इसमें सबसे ज्यादा प्लाट सर्वे नंबर 525 की भूमि पर काटे जा रहे हैं, इसमें छोटे प्लॉट भी देकर बसाए जा रहे हैं।
प्रशासन की अनदेखी का परिणाम है कि चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि ने सिरपुर तालाब और उसकी पाल से 60 मीटर दूरी तक सर्वे कराया था। इसमें चौकाने वाली बात सामने आई थी। तालाब के बाहर की जमीन सिरपुर के सर्वे नंबर 525 में आती है। यह सर्वे नंबर साल 1925 के मिसल बंदोबस्त रिकार्ड में विश्रामबाग के नाम होकर सरकारी जमीन के रुप में दर्ज है, जो बाद में निजी भूमि के रुप में तब्दील हो गई है। यह सर्वे नंबर 443 एकड़ जमीन का है। इस जमीन पर वर्तमान में प्रजापत नगर के साथ ही कई अन्य निर्माण पाए गए थे। उस दौरान यहां 500 से ज्यादा मकान बने हुए थे। पुराने रिकार्ड में सामने आ रहा है कि निजी नाम शामिल होने के साथ ही आधा दर्जन गृह निर्माण संस्थाओं के नाम पर भी जमीन है। यहां कालोनियां तक बस गई है। उक्त सर्वे नंबर के अलग-अलग बंटे नंबरों पर 90 के दशक में जमीन के जादूगरों द्वारा शिवसागर फार्म्स के नाम पर 5000 वर्गफीट के करीब 300 फार्म हाउस काटे गए हैं।

अपलोड कर दी कालोनी
क्षेत्र के भूमाफियाओं के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि उन्होंने आफिस तक खोल रखे हैं। प्लाट के पूछताछ करने वालों की दलालों द्व ारा रखे गए कर्मचारी प्लाट दिखाने का काम करते हैं। माफिया अपनी अवैध कालोनी की ब्रांडिंग के लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। माफियाओं ने सिरपुर तालाब के केचमैंट एरिया को भी नहीं छोड़ा। गोंदवले धाम की ओर भी वहीं कालोनी ही नहीं, बल्कि गोदाम, दुकान आदि भी बनाए जा रहे हैं।

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